विक्रमगंज। स्कूली बच्चों को पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराने के लिए विद्यालयों में संचालित मध्याहन भोजन योजना का नाम बदल कर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया है । नाम बदलने के बाद भी विद्यालयों में दिए जाने वाले मिड डे मील की तस्वीर नहीं बदली है । इन दिनों पंचायतों में संचालित स्कूलों की जांच की जा रही है । निरीक्षण के दौरान 60 फीसदी से अधिक विद्यालयों में संचालित एमडीएम योजना की गुणवत्ता में कमी पाई जा रही है । निरीक्षण से स्पष्ट है कि कहीं बच्चों को कम एमडीएम दिया जा रहा है , तो कहीं है । बताया जाता है कि लिमिट और महंगाई ने प्रधानमंत्री पोषण योजना का जायका बिगाड़ दिया है ।
प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत एक पांच कक्षा के बच्चों को 4.97 रुपये और कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को 7.45 रुपये की दर से पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है । दाल , सब्जी , तेल , रसोई गैस की कीमतों में प्रत्येक दिन तेजी आ रही है । ऐसे में प्रधानाध्यापक के लिए इतनी कम राशि में गुणवत्तायुक्त भोजन उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है ।
दूसरी ओर विद्यालयों का लिमिट तय कर दिया गया है । किसी विद्यालय में अगर 70 या 80 प्रतिशत बच्चे आते हैं , तो भी प्रधानाध्यापक को 63 प्रतिशत बच्चे के लिए निर्धारित राशि ही मिलेगी । ऐसे में शेष बच्चों को प्रधानाध्यापक अपनी जेब से कैसे मध्याह्न भोजन खिलाएंगे । प्रधानमंत्री पोषण योजना में किसी भी प्रकार की खर्च की गई राशि का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से किया जाना है । यह राशि भी सीधे वेंडर के खाते में जाएगी । शिक्षक शेखर गुप्ता ने कहा कि पीएफएमस प्रणाली से राशि भुगतान में काफी परेशानी आती है । अभी तक आधे विद्यालयों का भी बीते माह के विपत्र का भुगतान नहीं हो पाया है । प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रेणु देवी कहती हैं कि पोर्टल पर विपत्र अपलोड करने में समस्या आ रही है । इसके बावजूद 50 प्रतिशत से अधिक के विपत्र का भुगतान हो गया है ।
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