बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में गांधी मैदान से कई महत्वपूर्ण बातें कही। मुख्यमंत्री ने महिला शिक्षा, स्कूली शिक्षा, स्कूल में प्रधानाध्यापक की कमी दूर करने समेत अन्य क्षेत्रों के लिए 9 महत्वपूर्ण घोषणाएं की है। 15 अगस्त पर बिहारवासियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की कमी को दूर करने की कोशिश की जा रही है। CM ने एलान किया कि अब स्कूलों में प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक की नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा से की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा के विकास एवं गुणवत्ता में सुधार के लिए विद्यालय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता होती है। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधीन प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक का संवर्ग और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक संवर्ग का गठन किया जाएगा। प्रधान शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक के पदों पर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से होगी।
बता दें कि अब तक प्रमोशन और वरीयता के आधार पर स्कूलों में प्रधानाचार्य बनाए जाते रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अब प्राचार्य बनने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा पास करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्कूली शिक्षा के विकास एवं गुणवत्ता में सुधार के लिए विद्यालय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधीन प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक का संवर्ग और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक संवर्ग का गठन किया जाएगा। इन पदों पर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से होगी।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा से कई ऐसे वरीय एवं प्रमोशन प्राप्त शिक्षकों को बड़ा झटका लगेगा। गौरतलब है कि स्कूलों में प्रिंसिपल की नियुक्ति में कई जगह से विवाद की खबरें आती रहती हैं। कहीं वरीयता सूची की अनदेखी का आरोप लगता है तो कहीं कुछ और। ऐसे में अब इन सारे विवादों की वजह ही समाप्त हो जाएगी। प्रतियोगिता के आधार पर जब बहाली होगी तो इस तरह का विवाद ही नहीं होगा। साथ ही संवर्ग का गठन हो जाने से इसका दूरगामी असर पड़ेगा।
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