वैश्विक कोरोना महामारी में दिन-रात अपनी सेवा दे रहे कर्मियों के लिए जब से बिहार सरकार ने विशेष पारिवारिक पेंशन, पचास लाख रुपए का बीमा, विशेष भत्ता एवं अन्य सुविधाओं की घोषणा की है, तबसे पंचायती राज संस्था एवं अन्य स्रोतों के तहत नियुक्त कर्मी और शिक्षक भी अपने लिए उन सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
दरअसल, बिहार में नियमित कर्मियों के बदले पर बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग एवं पंचायती राज व्यवस्था से कर्मियों की बहाली की गई है, जिनके लिए नियमावली एवं सुविधाए तय तो सरकार करती है। लेकिन जब सुविधा देने की बात होती है, तो उन्हें अपना कर्मी मानने से इंकार कर देती है और वे उन सुविधाओं से वंचित हो जाते है ।
कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न सरकारी कार्यो एवं सामुदायिक किचेन आदि में स्थानीय निकायों के शिक्षकों से व्यापक पैमाने पर कार्य लिया जा रहा है और नित्य ही कोई ना कोई शिक्षक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे है तथा कई शिक्षकों की जान भी इस महामारी ने ले ली है।
टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) के द्वारा बिहार सरकार से नियमित कर्मियों के भांति ही स्थानीय निकायों में कार्यरत शिक्षको के लिए विशेष भत्ता, विशेष पारिवारिक पेंशन, पंचास लाख की बीमा, अनुकम्पा पर सरकारी नौकरी एवं अन्य सुविधाओं की मांग की गई है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक एवं प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने बताया कि कोरोना संक्रमण के गिरफ्त में हजारों की संख्या में शिक्षक आ रहे है और सैकड़ों शिक्षकों की जान भी जा चुकी है। ऐसे में शिक्षकों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखना भी सरकार का दायित्व है।
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