पहला वैक्सीन है कोवैक्सिन
इसे पारंपरिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। यानी इसमें डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है। इससे एंटीबॉडी रिस्पॉन्स होता है और शरीर वायरस को पहचानने और उससे लड़ने लायक एंटीबॉडी बनाता है। यह एक डब्बल डोज वैक्सीन है।
दूसरा वैक्सीन है कोवीशील्ड
यह वायरल वेक्टर वैक्सीन है। इसमें चिम्पैंजी में पाए जाने वाल एडेनोवायरस का इस्तेमाल कर उससे कोरोना वायरस जैसा ही स्पाइक प्रोटीन बनाया गया है। यह शरीर में जाकर इसके खिलाफ प्रोटेक्शन विकसित करता है। यह एक डब्बल डोज वैक्सीन है।
तीसरा वैक्सीन है स्पुतनिकम
यह भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। अंतर यह है कि इसे एक की बजाय दो वायरस से बनाया गया है। इसमें दोनों डोज अलग-अलग होते हैं, जबकि कोवैक्सिन और कोवीशील्ड के दो डोज में अंतर नहीं है।
आपको बता दे कि स्पुतनिक-v के डेढ़ लाख डोज भारत आ गए है। देश में वैक्सीन की कमी को देखते हुए सरकार ने रूसी वैक्सीन स्पुनतिक v को मंजूरी दी थी। इसकी पहली खेप 1 मई को भारत आई थी। देश में इस वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही डॉ. रेड्डीज लैब के CEO दीपक सपरा ने कहा था कि DCGI की मंजूरी के बाद हमें डेढ़ लाख डोज का पहला शिपमेंट मिला है। लोगों को यह वैक्सीन कुछ हफ्तों में मिलने लगेगी। यह एक सिंगल डोज वैक्सीन है।
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