राज्य सरकार ने एक एक पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अब 50 वर्षों से अधिक जिनकी नौकरी हो गई है उनके कार्यकुशलता की जांच करते हुए उन्हें समय पूर्व रिटायर कर दी जाएगी।
बिहार प्रदेश प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष-नवलकिशोर सिंह ने सरकार द्वारा जारी पत्र या उक्त आदेश का घोर विरोध करते हुए कहा कि ऐसे हीं किसी को सेवा से हटाना उचित नहीं है जब तक कर्मचारी खुद को सेवा के लिए अक्षम महसूस न करें या जबतक 60 वर्ष की आयु तक सेवा पूरी न हो लेकिन आखिर सरकार जबर्दस्ती रिटायर क्यों करने पर तुली है।
श्री सिंह ने कहा कि ठीका नियोजन नीति का विरोध एवम उसके खिलाफ संघर्ष करने वाले कर्मचारियों/शिक्षकों के आंदोलन का मज़ाक उड़ाने वाले नियमित पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों के नाम बिहार सरकार द्वारा पत्र जारी कर अच्छे दिन का तोहफा दिया जा रहा है, वह भी वैश्विक महामारी कोरोना के बीच।
आपको बता दे कि बिहार प्रदेश प्रारंभिक शिक्षक संघ उक्त पत्र को कर्मचारी विरोधी करार देते हुए पुरजोर विरोध करता है तथा सरकारी संस्थानों एवं नौकरी को बचाने के लिए बिहार के हर तरह के कर्मचारियों को संगठित हो ठेका, नियोजन और छटनी नीति के वाहक बिहार के नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील करता है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी-मृत्युंजय ठाकुर ने सरकार के उक्त फरमान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि जब बिहार के कर्मचारियों, शिक्षकों या अन्य सरकारी सेवकों को 50 वर्ष की आयु का हवाला देकर जबरन रिटायरमेन्ट दिया जा सकता है तो बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री के साथ साथ सभी मंत्री एवम सताधारी पार्टी के सभी MLA/MLC या MP को क्यों नहीं? क्या वे लोग दक्ष हैं? क्या बिहार के सभी मंत्रियों का मूल्यांकन नहीं होना चाहिए?
श्री ठाकुर ने सरकार से अनुरोध किया कि अब भी वक्त है!पुनर्विचार करते हुए अविलंब उक्त पत्र को रद्द करे/वापस ले जिससे सभी कर्मचारी बिना किसी दबाव के निष्पक्ष रूप से अपने काम पर ध्यान दे सके।
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