शनिवार, 25 जुलाई 2020

सरकारी फरमान शिक्षको के लिए बनी गले की हड्डी।देखिए एक रिपोर्ट




कार्यकुशलता की समीक्षा के आधार पर अक्षम पाये जाने वाले पचास वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृति देने का फैसला शिक्षक संगठनों के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। इसका शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है।

बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने तय किया है कि संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन्द्र सौरभ, महासचिव डॉ. भोला पासवान, कोषाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह एवं कार्यालय सचिव सूर्यकान्त गुप्ता सहित राज्य कार्यसमिति के सदस्यों, जिला अध्यक्षों एवं सचिवों ने कहा है कि विरोध के पहले चरण में 27 जुलाई तीन बजे दिन में राज्य भर में शिक्षक आदेश की प्रति पने-अपने दरवाजे पर मसाल जलाकर रोष प्रकट करेंगे।


दूसरी ओर एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) के प्रदेश अध्यक्ष माकंडेय पाठक, प्रदेश सचिव अमित कुमार, ईमाम, नाजिर हुसैन,संजीत पटेल और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने आदेश को आपत्तिजनक कहा है। संगठन ने कहा है कि विरोध करेंगे।

इधर, टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के राज्य संयोजक राजू सिंह और प्रदेश महासचिव आलोक रंजन ने आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि पचास वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों को कार्यकुशलता की समीक्षा के आधार पर रिटायरमेंट देना उचित नहीं है। 


संगठन के उपाध्यक्ष सुधांशु देव और आफताब फिरोज ने संघर्ष की अपील की है। इस बीच परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के कार्यकारी प्रदेश संयोजक नवनीत कुमार एवं प्रदेश संगठन महामंत्री शिशिर कुमार पाण्डेय ने कहा है कि सेवानिवृति की आयु बढ़ाने के बदले कार्यों के मूल्यांकन के आधार पर पचास वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों की सेवानिवृति उचित नहीं है। संगठन ने सरकार से कहा है कि इस पुनर्विचार करते हुए इसे वापस ले।

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