रविवार, 26 जुलाई 2020

लॉकडाउन में सरकार शिक्षको की लगा रही है डियूटी। देखिए ये रिपोर्ट।




कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच स्कूली शिक्षक-कर्मियों की ड्यूटी बाढ़ राहत सामग्री की पैकिंग में लगायी गयी है। इससे कोरोना संक्रमण से घरों में बंद होकर खुद का बचाव कर रहे शिक्षक-कर्मी सहम गये हैं। 

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर शिक्षक-कर्मियों के सामने सवाल यह है कि अगर बाढ़ राहत सामग्री की पैकिंग के लिए आने-जाने के दौरान संक्रमण का शिकार हुए तो? इसलिए कि राजधानी के अधिकांश मुहल्ले कोरोना को लेकर कंटोनमेंट जोन में हैं।

बाढ़ राहत सामग्री की पैकिंग के लिए यहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में बनाये गये आपदा राहत केंद्र में बाढ़ राहत सामग्री की पैकिंग हो रही है। उसमें सहयोग के लिए राजधानी के पंद्रह के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को लगाये जाने के आदेश शनिवार को जारी किये गये हैं। 

इनमें बी. एन. कॉलेजियेट, पटना कॉलेजियेट, रामलखन सिंह यादव सर्वोदय उच्च माध्यमिक विद्यालय, पी. एन. एंग्लो संस्कृत उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजेंद्र नगर राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय, द्वारका उच्च माध्यमिक विद्यालय, दारोगा प्रसाद राय उच्च माध्यमिक विद्यालय, शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कमला नेहरू उच्च माध्यमिक विद्यालय, एवं बीएमपी-पांच उच्च माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं।

शनिवार, 25 जुलाई 2020

सरकारी फरमान शिक्षको के लिए बनी गले की हड्डी।देखिए एक रिपोर्ट




कार्यकुशलता की समीक्षा के आधार पर अक्षम पाये जाने वाले पचास वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृति देने का फैसला शिक्षक संगठनों के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। इसका शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है।

बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने तय किया है कि संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन्द्र सौरभ, महासचिव डॉ. भोला पासवान, कोषाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह एवं कार्यालय सचिव सूर्यकान्त गुप्ता सहित राज्य कार्यसमिति के सदस्यों, जिला अध्यक्षों एवं सचिवों ने कहा है कि विरोध के पहले चरण में 27 जुलाई तीन बजे दिन में राज्य भर में शिक्षक आदेश की प्रति पने-अपने दरवाजे पर मसाल जलाकर रोष प्रकट करेंगे।


दूसरी ओर एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) के प्रदेश अध्यक्ष माकंडेय पाठक, प्रदेश सचिव अमित कुमार, ईमाम, नाजिर हुसैन,संजीत पटेल और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने आदेश को आपत्तिजनक कहा है। संगठन ने कहा है कि विरोध करेंगे।

इधर, टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के राज्य संयोजक राजू सिंह और प्रदेश महासचिव आलोक रंजन ने आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि पचास वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों को कार्यकुशलता की समीक्षा के आधार पर रिटायरमेंट देना उचित नहीं है। 


संगठन के उपाध्यक्ष सुधांशु देव और आफताब फिरोज ने संघर्ष की अपील की है। इस बीच परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के कार्यकारी प्रदेश संयोजक नवनीत कुमार एवं प्रदेश संगठन महामंत्री शिशिर कुमार पाण्डेय ने कहा है कि सेवानिवृति की आयु बढ़ाने के बदले कार्यों के मूल्यांकन के आधार पर पचास वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों की सेवानिवृति उचित नहीं है। संगठन ने सरकार से कहा है कि इस पुनर्विचार करते हुए इसे वापस ले।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

सेवा से पहले रिटायर होंगे कर्मी , संघ ने किया विरोध |देखिए एक रिपोर्ट




राज्य सरकार ने एक एक पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अब 50 वर्षों से अधिक जिनकी नौकरी हो गई है उनके कार्यकुशलता की जांच करते हुए उन्हें समय पूर्व रिटायर कर दी जाएगी।

बिहार प्रदेश प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष-नवलकिशोर सिंह ने सरकार द्वारा जारी पत्र या उक्त आदेश का घोर विरोध करते हुए कहा कि ऐसे हीं किसी को सेवा से हटाना उचित नहीं है जब तक कर्मचारी खुद को सेवा के लिए अक्षम महसूस न करें या जबतक 60 वर्ष की आयु तक सेवा पूरी न हो लेकिन आखिर सरकार जबर्दस्ती रिटायर क्यों करने पर तुली है।


श्री सिंह ने कहा कि ठीका नियोजन नीति का विरोध एवम उसके खिलाफ संघर्ष करने वाले कर्मचारियों/शिक्षकों के आंदोलन का मज़ाक उड़ाने वाले नियमित पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों के नाम बिहार सरकार द्वारा पत्र जारी कर अच्छे दिन का तोहफा दिया जा रहा है, वह भी वैश्विक महामारी कोरोना के बीच।

आपको बता दे कि बिहार प्रदेश प्रारंभिक शिक्षक संघ उक्त पत्र को कर्मचारी विरोधी करार देते हुए पुरजोर विरोध करता है तथा सरकारी संस्थानों एवं नौकरी को बचाने के लिए बिहार के हर तरह के कर्मचारियों को संगठित हो ठेका, नियोजन और छटनी नीति के वाहक बिहार के नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील करता है।


प्रदेश मीडिया प्रभारी-मृत्युंजय ठाकुर ने सरकार के उक्त फरमान पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि जब बिहार के कर्मचारियों, शिक्षकों या अन्य सरकारी सेवकों को 50 वर्ष की आयु का हवाला देकर जबरन रिटायरमेन्ट दिया जा सकता है तो बिहार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री के साथ साथ सभी मंत्री एवम सताधारी पार्टी के सभी MLA/MLC या MP को क्यों नहीं? क्या वे लोग दक्ष हैं? क्या बिहार के सभी मंत्रियों का मूल्यांकन नहीं होना चाहिए?


श्री ठाकुर ने सरकार से अनुरोध किया कि अब भी वक्त है!पुनर्विचार करते हुए अविलंब उक्त पत्र को रद्द करे/वापस ले जिससे सभी कर्मचारी बिना किसी दबाव के निष्पक्ष रूप से अपने काम पर ध्यान दे सके।

शिक्षको की सेवा सर्त को दिया जा रहा है अंतिम रूप।देखिए एक रिपोर्ट



राज्य में प्रारंभिक विद्यालयों से लेकर उच्च माध्यमिक  विद्यालयों तक के तकरीबन चार लाख नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवा शर्त में सुधार को लेकर प्रस्तावित ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 

इसके तहत ड्राफ्ट को बेहतर बनाने की कोशिश में हर दृष्टि से एक्सरसाइज विभाग में चल रहा है।हालांकि, सेवा शर्त में सुधार के लिए पुनर्गठित कमेटी की अगली  बैठक में अभी समय लगने की संभावना है। 


इसलिए कि पुनर्गठित कमेटी के अध्यक्ष सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्यसचिव आमिर सुबहानी हैं, जो फिलहाल अस्वस्थ चल रहे हैं। इसके मद्देनजर यह तय माना जा रहा है कि उनके स्वस्थ होने के बाद ही पुनर्गठित कमेटी की अगली बैठक होगी।

पुनर्गठन के बाद पुनर्गठित कमेटी की पहली बैठक छह जुलाई को इसके अध्यक्ष व सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्यसचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में हुई थी। 


शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव आर. के. महाजन कमेटी के सदस्य सचिव हैं। कमेटी के बाकी सदस्यों में पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्यसचिव अमृतलाल मीणा, वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ, नगर विकास विभाग के सचिव आनन्द किशोर तथा अपर महाधिवक्ता आशुतोष रंजन पाण्डेय शामिल है।

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

बिहार शिक्षको के सेवा सर्त पर लगी मुहर मिलेंगे ये सारे फायदे। देखिए एक रिपोर्ट




बिहार में नौकरी कर रहे नियोजित शिक्षकों को फायदा होने वाला हैं। क्यों की उनकी वर्षों की मांग पूरी होने वाली हैं। सरकार ने नियोजित शिक्षकों के सेवाशर्त पर मुहर लगा दी हैं।

इस सेवाशर्त से शिक्षकों को कौन-कौन से फायदे होंगे। तो आइये इसके बारे में विस्तार से जनते है।


1 .सेवा शर्त लागू होते ही नियोजित शिक्षकों को तबादला हो सकेगा।


2 .नियोजित शिक्षकों को अब प्रोन्नति का भी लाभ प्राप्त होगा।


3 .इन्हे एसीपी लाभ और सेवांत लाभ भी मिलेगा।

4 .नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी भविष्य निधि का भी फायदा होगा।

5 .ग्रेच्युटी, ग्रुप इंश्योरेंस समेत अनुकंपा का लाभ मिलने लगेगा।

6 .सेवा शर्त मिलने के बाद शिक्षकों को प्रोन्नति के साथ स्थानांतरण का मिलेगा।

.अब नियोजित शिक्षक प्रधानाध्यापक तक बन सकते हैं।

.इन्हे वेतनमान छोड़कर सभी प्रकार का लाभ प्राप्त होगा।



बुधवार, 22 जुलाई 2020

अभिभावकों ने सरकार को स्कूल बंद करने को कहा।





राज्य में स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने सरकार को राय दी है कि अगस्त में स्कूल नहीं खुले । कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों को पूरी तरह से आंकने और बच्चों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही स्कूल खोलने के निर्णय लिये जायें।

प्रदेश के स्कूली बच्चों के अभिभावकों की राय से केंद्र को राज्य सरकार अवगत करायेगी। दरअसल, केंद्र ने राज्यों से कहा था कि वह स्कूली बच्चों के अभिभावकों से राय ले कि पढ़ाई के लिए स्कूल कब से खोले जायें ? अगस्त से, सितम्बर से या अक्तूबर से? इन सवालों पर अभिभावकोंकी राय लेकर केंद्र ने राज्यों से रिपोर्ट मांगी है।



इसके मद्देनजर ही अभिभावकों की राय ली गयी है। अभिभावकों की राय पर केंद्रित रिपोर्ट केंद्र को सौंपने की तैयारी है। अभिभावकों ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि उनके लिए स्कूलों में अपने बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। हर दृष्टि से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद ही स्कूल खोले जायें।



स्कूल खोलते समय स्थानीय परिवेश और परिस्थितियों पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिये जायें।स्कूल खोलने और बंद करने के समय, स्कूल अवधि, मध्याह्न भोजन योजना के संचालन, आउटडोर कक्षाओं का संचालन, स्कूल का पाली में संचालन एवं कक्षा की अवधि पर भी अभिभावकों के राय लिये गये हैं।


कोरोना को लेकर स्कूलों में छात्रों, शिक्षकों एवं प्रशासकों के लिए अनुशानिक सीमाएं तय करने तथा थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही स्कूलों में आंगतुकों को प्रवेश देने के अभिभावकों के सुझाव हैं।

अभिभावकों की राय है कि स्कूल जब खुलें, तो छात्रों द्वारा एसेम्बली एवं प्रार्थना का आयोजन नहीं किये जायें। उचस्तरीय स्कूल प्रणाली के भी सुझाव आये हैं । ऐसे सुझावों में वर्चुअल क्लासरूम एवं आईसीटी व्यवस्था भी शामिल हैं।

स्कूलों को अपने परिसर में स्वस्थ परिवेश विकसित करने एवं बच्चों को स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर सुविधाएं देने के सुझाव भी अभिभावकों के हैं। अभिभावकों ने कहा है कि खासकर पढ़ाई के लिए प्राइवेट स्कूल सरकार के आदेश के बाद ही खुलें। साथ ऐसी व्यवस्था हो कि प्राइवेट स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण रहे।