सोमवार, 13 अप्रैल 2020

हड़ताल के दौरान 45 शिक्षको की जिंदगी बिखर गई। संघ ने उठाया मुद्दा।




राज्य में जारी लोकडाउन के दौरान हड़ताली शिक्षको के बीच 45 शिक्षको के मौत का मामला गर्म हो गया है।आपको बता दे कि विगत 17 फरवरी से सहायक अध्यापक सह राज्यकर्मी की दर्जा को लेकर जारी हड़ताल के दौरान आज तक सूबे के 45 शिक्षकों की असामयिक मौत से शिक्षक संघ आहत है। 


परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ पश्चिम चम्पारण के जिला महासचिव नंदन कुमार ने कहा की लॉक डाउन समाप्त होने पर सभी शिक्षकों का अस्थि कलश के साथ जनप्रतिनिधियों से हिसाब मांगा जायेगा।

नंदन कुमार ने कहा कि हड़ताल अवधि में 45नियोजित शिक्षकों की मौत से शिक्षक आक्रोशित है।जबकि वही राज्य में कोरोना वायरस से बिहार मे अबतक एक आदमी की मौत पर हाय तौबा मचाने वाले राज्य सरकार और राजनीतिक पार्टियां 45 नियोजित शिक्षकों की मौत पर चुप्पी साधे बैठे है समय रहते अगर नेताओ द्वारा इस पर उचित निर्णय नहीं लिया गया तो संघ  चुप नहीं बैठेगा। 


संघ के जिला अध्यक्ष अर्जुन राम ने  45 शिक्षकों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा की समय पर वेतन नहीं देना, पत्र जारी कर नौकरी से बर्खास्तगी का भय दिखाना,मुकदमा दर्ज करना,आर्थिक तंगी के कारण इलाज का अभाव और भूखमरी आदि तमाम दमनकारी नीतियो के कारण शिक्षकों की मौत हुई है।

महासचिव ने बताया कि सभी मृत नियोजित शिक्षकों की सूची राज्य अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी के द्वारा भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,और मानवाधिकार आयोग को देने , शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेने और हड़ताल खत्म करने के लिए समुचित करवाई करने की मांग की सरकार से की जा रही है।  


संघ ने सरकार के समक्ष प्रश्न करते हुए कहा कि क्या लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से बात रखने वाले शिक्षकों से वार्ता के लिए कोई पहल नहीं करना राज्य सरकार की तानाशाही नहीं है ? आखिर इन मौत का जिम्मेदार कौन है ? निश्चित रूप से इन मौतों के लिए राज सरकार की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अन्यथा सरकार की और संवेदनशीलता के समक्ष केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि भारत के गुरुओं की ज्ञान परंपरा भी दम तोड़ देगी।

संघ द्वारा मृत शिक्षकों को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई और मृत शिक्षको का आंकड़ा भी सार्वजनिक किया गया। 

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