सोमवार, 20 अप्रैल 2020

लगातार हो रही शिक्षको की मौत पर उठने लगी ये मांग।। पढ़िए एक रिपोर्ट







लगातार हो रही शिक्षको के मौत पर आनंद कौशल ने कहा मुख्यमंत्री के  अहंकारी स्वभाव के कारण ही हड़ताल के इन 63 दिनों के अंदर 55 नियोजित शिक्षकों की मौत हो चुकी है ।



कौशल जी ने कहा कि 04 लाख हड़ताली शिक्षकों के साथ दाँव-पेंच और राजनीतिक चोंचलेबाजी बंद कर शीघ्र वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वार्ता कर सभी माँगों को पूरी करें । 



आनंद कौशल ने मुख्यमंत्री से तत्काल मानवता का परिचय देते हुए वार्ता के प्रत्याशा में सभी मृत शिक्षकों के परिजनों को 25 लाख रुपया और  सरकारी नौकरी देने की मांग की है ।

उन्होनें मांग किया कि इस लॉक डाउन में आर्थिक तंगी से लगातार हो रही शिक्षकों की मौत को तुरंत रोकने के लिए केंद्र सरकार के आदेश का अनुपालन करते हुए 04 लाख शिक्षकों को फरवरी, मार्च,अप्रैल माह के बकाया वेतन का भुगतान किया जाय और लॉक डाउन अबधि का वेतन रोक कर शिक्षकों को मौत के मुँह में धकेलने वाले पदाधिकारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाय ।


कौशल जी ने कहा कि अगर सरकार इस पर अमल नहीं करती है तो  लॉक डाउन खत्म होते ही 04 लाख हड़ताली शिक्षक 05 मई को पटना में राजभवन तक आक्रोश मार्च निकाल कर सरकार की नींद उड़ा देंगें 


गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

विद्यालय गए शिक्षको की हड़ताल में होने लगी वापसी।


अब तक हड़ताल में डटे रहे हड़ताली शिक्षको को ये जानकारी देते हुए हमें काफी खुशी हो रही है कि जो शिक्षक बिहार सरकार के झांसे में आकर हड़ताल से वापस अपने विद्यालय चले गए थे उन्होंने दुबारा से हड़ताल में वापसी करना शुरू कर दिया है। 

आपको बता दे कि 17 फरवरी से इस हड़ताल की शुरुवात हुई थी लेकिन कोरोना नामक महामारी के कारण पूरे भारत को लॉकडाउन करना पड़ा। इसी महामारी का फायदा उठाकर बिहार सरकार ने शिक्षको को कभी पत्र के  जरिए तो कभी ऑनलाइन के जरिए विद्यालय में योगदान देने का लालच दे दिया जिससे हड़ताल को कमजोर किया जा सके।

कुछ शिक्षक सरकार के इस धोखे का शिकार भी हुए लेकिन अब दुबारा से वही शिक्षक अपनी गलती का एहसास करते हुए हड़ताल में दोबारा से जुड़ना शुरू कर दिए है। ये ओ पत्र है जो हड़ताली शिक्षको ने हड़ताल वापसी को लेकर अपने अधिकारी के पास लिखे है।






मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

लॉक डाउन में हड़ताली शिक्षको को मिला सरकार से झटका। देखिए एक रिपोर्ट






राज्य सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन में विद्यालय बंद रखने का आदेश है, परन्तु इस अवधि का  वेतन भुगतांन हड़ताली शिक्षकों को छोडकर किया जाएगा।  सरकार ने पत्र जारी करके ये निर्देश दे दिया है।



आपको बता दे  कि हड़ताल की अवधि के लिए No Work No Pay" के सिद्धांत का अक्षरशः अनुपालन करते हुए वेतनादि का भुगतान नहीं करने का निर्देश जारी कर दिया गया है। 



सरकार ने  यह भी निर्देश दिया  है कि जो शिक्षक हड़ताल पर नहीं हैं अथवा हडताल से वापस आकर विद्यालय में योगदान दे चुके हैं. उनके कार्यरत अवधि का भुगतान अविलम्ब सुनिश्चित किया जाए तथा अनुपालन प्रतिवेदन संबंधित निदेशालय को भेजें। 

फिलहाल स्थिति ये है कि बिहार के अधिकतर शिक्षक हड़ताल पर बने हुए है अब देखना ये है कि आने वाले समय मे इस पत्र का क्या परिणाम निकलर सामने आता है।




सोमवार, 13 अप्रैल 2020

हड़ताल के दौरान 45 शिक्षको की जिंदगी बिखर गई। संघ ने उठाया मुद्दा।




राज्य में जारी लोकडाउन के दौरान हड़ताली शिक्षको के बीच 45 शिक्षको के मौत का मामला गर्म हो गया है।आपको बता दे कि विगत 17 फरवरी से सहायक अध्यापक सह राज्यकर्मी की दर्जा को लेकर जारी हड़ताल के दौरान आज तक सूबे के 45 शिक्षकों की असामयिक मौत से शिक्षक संघ आहत है। 


परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ पश्चिम चम्पारण के जिला महासचिव नंदन कुमार ने कहा की लॉक डाउन समाप्त होने पर सभी शिक्षकों का अस्थि कलश के साथ जनप्रतिनिधियों से हिसाब मांगा जायेगा।

नंदन कुमार ने कहा कि हड़ताल अवधि में 45नियोजित शिक्षकों की मौत से शिक्षक आक्रोशित है।जबकि वही राज्य में कोरोना वायरस से बिहार मे अबतक एक आदमी की मौत पर हाय तौबा मचाने वाले राज्य सरकार और राजनीतिक पार्टियां 45 नियोजित शिक्षकों की मौत पर चुप्पी साधे बैठे है समय रहते अगर नेताओ द्वारा इस पर उचित निर्णय नहीं लिया गया तो संघ  चुप नहीं बैठेगा। 


संघ के जिला अध्यक्ष अर्जुन राम ने  45 शिक्षकों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा की समय पर वेतन नहीं देना, पत्र जारी कर नौकरी से बर्खास्तगी का भय दिखाना,मुकदमा दर्ज करना,आर्थिक तंगी के कारण इलाज का अभाव और भूखमरी आदि तमाम दमनकारी नीतियो के कारण शिक्षकों की मौत हुई है।

महासचिव ने बताया कि सभी मृत नियोजित शिक्षकों की सूची राज्य अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी के द्वारा भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,और मानवाधिकार आयोग को देने , शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेने और हड़ताल खत्म करने के लिए समुचित करवाई करने की मांग की सरकार से की जा रही है।  


संघ ने सरकार के समक्ष प्रश्न करते हुए कहा कि क्या लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से बात रखने वाले शिक्षकों से वार्ता के लिए कोई पहल नहीं करना राज्य सरकार की तानाशाही नहीं है ? आखिर इन मौत का जिम्मेदार कौन है ? निश्चित रूप से इन मौतों के लिए राज सरकार की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अन्यथा सरकार की और संवेदनशीलता के समक्ष केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि भारत के गुरुओं की ज्ञान परंपरा भी दम तोड़ देगी।

संघ द्वारा मृत शिक्षकों को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई और मृत शिक्षको का आंकड़ा भी सार्वजनिक किया गया।