रविवार, 29 दिसंबर 2019

NRC में शामिल होने के लिए आपके पास होने चाहिए ये डाक्यूमेंट्स।देखिए एक रिपोर्ट



NRC में शामिल होने के लिए आपके पास होने चाहिए ये डाक्यूमेंट्स


ऐसी खबरें आ रही हैं कि हरियाणा (Haryana) के बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भी ऐसा राज्य हो सकता है, जो अपने यहां एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) लागू कर सकता है. ऐसे में आपके पास कौन से ऐसे दस्तावेज होने चाहिए, जिससे आप इस देश के नागरिक माने जाएंगे. एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए दावा प्रपत्र की सूची-ए में दस पैतृक दस्तावेज पर भरोसा किया जाएगा इससे तय होगा कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं. इस समय ये बड़ा सवाल पूरे देश में कौंध रहा है कि अगर कल को उन्हें अपनी नागरिकता का सबूत देना पड़े तो कैसे देंगे. हम आपको बताते हैं कि आपके पास कौन से डाक्यूमेंट्स होने चाहिए संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है. इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं. संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।




नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ. एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं. एक्ट के जरिए केंद्र सरकार के पास ये अधिकार है कि वो किसे भारत का नागरिक माने और किसे नहीं।


संविधान में भारतीय नागरिकता को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश हैं
इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं. अन्यथा आपका नाम इसमें शामिल नहीं हो सकेगा.
1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.
3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट.
4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र.
5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.
6) बैंक/डाक घर में खाता.
7) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र.
9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज.




कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं?
संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है. संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा. भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा.


एनआरसी को लेकर केंद्र सरकार ने असम में सख्त कदम उठाए हैं
अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा. अगर कोई व्यक्ति यहां 5 साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है.
संविधान का अनुच्छेद 6
संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
संविधान का अनुच्छेद 7
संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है. इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है. ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे.




गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा के चुनाव प्रचार में भी ये कह चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी लागू होगा और देश में गैरकानूनी तरीके से रह रहे बाहरी लोगों को निकाला जाएगा।

संविधान का अनुच्छेद 8
संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो. ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा.
संविधान का अनुच्छेद 9
संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी.


संविधान का अनुच्छेद 10
संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है. इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा. सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी.
संविधान का अनुच्छेद 11
संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है. इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है।

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

NPR को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल हैं। आइए जानते हैं क्या है NPR और क्या है इसका मकसद।





राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर: कैसे बनेगा, क्या जुड़ेगा... एनपीआर के बारे में जानें सब कुछ


नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। 2021 की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून पर बहस के बीच एनपीआर यानी नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल हैं। आइए जानते हैं क्या है एनपीआर और क्या होंगे इसके मकसद...

क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर?
एनपीआर भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है।
क्या हैं इस स्कीम के उद्देश्य?
देश के हर निवासी की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के अधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।
किन प्रावधानों के तहत तैयार होता है नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर?
नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए। सिटिजनशिप ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 14A में यह प्रावधान तय किए गए हैं- - केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। - सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है।

क्या एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है?
नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के मुताबिक सेक्शन 14 के तहत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। नैशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और एनपीआर इस दिशा में पहला कदम है।

एनपीआर में कैसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?
अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 के दौरान एनपीआर तैयार करने में जुटे कर्मी घर-घर जाकर डेटा जुटाएंगे। इसके बाद इस इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के तौर पर तैयार किया जाएगा। फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स जैसी चीजों को इसमें शामिल किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी।

एनपीआर में कौन सी जानकारियां दर्ज होंगी?
एनपीआर रजिस्टर में ये जानकारियां होंगी। व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम (यदि विवाहित हैं), लिंग, जन्मतिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बॉयोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा। 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा।

क्या एनआरआई भी होंगे एनपीआर का हिस्सा?
एनआरआई भारत के आम नागरिक नहीं माने जाते और उनके बाहर रहने के चलते उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यदि वह भारत आते हैं और यहां रहने लगते हैं तो उन्हें भी एनपीआर में शामिल किया जा सकता है।

जानबूझकर या गलती से गलत जानकारी देने पर क्या होगा?
यदि एनपीआर के तहत आप गलत सूचना देते हैं तो सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के तहत आपको जुर्माना अदा करना होगा।

क्या एनपीआर के तहत पहचान पत्र जारी होता है?
सरकार एनपीआर के तहत आइडेंटिटी कार्ड जारी करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यह एक तरह का स्मार्ट कार्ड होगा, जिसमें आधार का भी जिक्र होगा।

एनपीआर और आधार के बीच क्या संबंध है?
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक आम रजिस्टर है। इसके तहत जुटाए गए डेटा को यूआईडीएआई को री-ड्युप्लिकेशन और आधार नंबर जारी करने के लिए भेजा जाएगा। इस रजिस्टर में तीन मुख्य चीजें- डेमोग्राफिक डेटा, बॉयोमीट्रिक डेटा और आधार नंबर शामिल होंगे।


डीएलएड सत्र 2020-22 में नामांकन की तिथि बढ़ी।



डीएलएड पाठ्यक्रम के सत्र 2020-2022 में नामाकन हेतु सयुक्त प्रवेश परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के लिए अच्छी  खबर है।

आपको बता दे कि डीएलएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा. 2020 के लिए ऑनलाईन परीक्षा आवेदन-पत्र भरने एवं शुल्क जमा करने हेतु तिथि दिनांक 25.12.2019 से 29.12.2019 तक विस्तारित कर दिया गया है एवं त्रुटि सुधार दिनांक 30.12.2019 से 03.01.2020 तक कर सकते है।




विभाग ने पत्र जारी करके डी०एल०एड० पाठ्यक्रम सत्र-2020-2022 में नामांकन लेने हेतु संयुक्त प्रवेश परीक्षा, 2020 की तिथि में हुए बदलाव की जानकारी दिया है।

संघ ने कहा मानव श्रृंखला का विरोध करेंगे शिक्षक।




पटना : लंबित वेतनमान और समान सेवाशर्त सहित अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर नियोजित शिक्षकों ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम दिया है। शिक्षकों ने कहा है कि अगर राज्य सरकार 15 जनवरी 2020 से पहले उनकी मांगें मान कर सभी सुविधाएं देने की घोषणा नहीं करने पर 19 जनवरी को होने वाली मानव श्रृंखला का विरोध करेंगे। 



इस बीच 19 जनवरी 2020 को होने वाले जल जीबन एवं हरियाली विषय पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला के कार्यक्रम का सभी शिक्षक बहिष्कार करेंगे और किसी कीमत पर मानव श्रृंखला में शिरकत नहीं करेंगे।



बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्यअध्यक्ष सह संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने गुरुवार को कह्य कि सबसे दुखद बात है कि 30 वर्ष पहले शिक्षकों ने अपने आंदोलन के बल पर सरकार से जो सुविधाएं हासिल की थीं, वर्तमान की सरकार धीरे-धीरे उसे समाप्त कर शिक्षकों से छीन लेने पर आमादा है।




बुधवार, 18 दिसंबर 2019

नागरिकता संशोधन कानून: किस पर कैसे होगा क्या असर, जानें- सभी सवालों के जवाब






नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूर्वोत्तर से लेकर दिल्ली तक देश के कई हिस्सों में चल रहे प्रदर्शनों के बीच सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखा है। इस ऐक्ट को लेकर समाज में फैली कई तरह की भ्रांतियों को लेकर गृह मंत्रालय ने सभी अहम सवालों के जवाब दिए हैं। आइए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं आखिर क्या है नागिरकता संशोधन कानून और किस पर क्या होंगे इसके असर...


सवाल- क्या नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी नागरिक पर प्रभाव डालता है?


जवाब- नहीं। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में वर्णित मूल अधिकार मिले हुए हैं। नागरिकता संशोधन कानून या अन्य कोई भी चीज उनसे इन्हें वापस नहीं ले सकती। यह एक तरह का दुष्प्रचार चल रहा है। नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम समुदाय के लोगों समेत किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं डालता।




सवाल- फिर नागरिकता संशोधन कानून किस पर लागू होता है?


जवाब- यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है। इसके अलावा इन तीन देशों से भारत आए मुस्लिमों या फिर अन्य विदेशियों के लिए यह ऐक्ट नहीं है।


सवाल- पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को इससे क्या फायदा है?

जवाब- यदि उनके पास पासपोर्ट, वीजा जैसे दस्तावेजों का अभाव है और वहां उनका उत्पीड़न हुआ हो तो वह भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता संशोधन कानून ऐसे लोगों को नागरिकता का अधिकार देता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को जटिल प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और जल्द भारत की नागरिकता मिलेगी। इसके लिए भारत में एक से लेकर 6 साल तक की रिहाइश की ही जरूरत होगी। हालांकि अन्य लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने को 11 साल भारत में रहना जरूरी है।




सवाल- क्या इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम कभी भारत की नागरिकता नहीं ले सकेंगे?


जवाब- नहीं। सिटिजनशिप ऐक्ट के सेक्शन 6 में किसी भी विदेशी व्यक्ति के लिए नैचरलाइजेशन के जरिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का प्रावधान है। इसके अलावा ऐक्ट के सेक्शन 5 के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। यह दोनों ही प्रावधान जस के तस मौजूद हैं। बीते कुछ सालों में भी इन तीनों देशों से आने वाले सैकड़ों मुस्लिमों को इन्हीं प्रावधानों के तहत भारत की नागरिकता दी गई है। भविष्य में भी यदि योग्य पाए जाते हैं तो ऐसे लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए उनका धर्म या फिर संख्या मायने नहीं रखती। 2014 के आंकड़ों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सीमा के निर्धारण के बाद से 14,864 बांग्लादेशी लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई। इनमें कई हजार लोग मुस्लिम समुदाय के भी थे।



सवाल- क्या इन तीन देशों से गैर-कानूनी रूप से भारत आए मुस्लिम अप्रवासियों को CAA के अंतर्गत वापस भेजा जाएगा?

जवाब- नहीं। CAA का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है। किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, की प्रक्रिया फॉरनर्स ऐक्ट 1946 और /अथवा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के तहत की जाती है। ये दोनों कानून, सभी विदेशियों- चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों, देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं।
इसलिए सामान्य निर्वासन प्रक्रिया सिर्फ गैरकानूनी रूप से भारत में रह रहे विदेशियों पर लागू होगी। यह पूरी तरह सोच-समझ कर बनाई गई कानूनी प्रक्रिया है जो स्थानीय पुलिस अथवा प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए की गई जांच के बाद तैयार की गई है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गैरकानूनी विदेशी को उसके देश के दूतावास/उच्चायोग ने उचित यात्रा दस्तावेज दिए गए हों ताकि जब उन्हें डिपोर्ट किया जाए तो उनके देश के अधिकारियों द्वारा उन्हें सही प्रकार से रिसीव किया जा सके।
असल में, ऐसे लोगों को देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब कोई व्यक्ति को द फॉरनर्स ऐक्ट, 1946 के तहत 'विदेशी' साबित हो जाएगा। इसलिए पूरी प्रक्रिया में स्वचालित, मशीनी या भेदभावपूर्ण नहीं है। राज्य सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास फॉरनर्स ऐक्ट के सेक्शन 3 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के सेक्शन 5 के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदुत्त शक्तियां होती हैं, जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है, हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है।



सवाल- क्या इन तीन देशों के अलावा अन्य देशों में धार्मिक आधार पर भेदभाव का सामना कर रहे हिंदू भी CAA के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं?

जवाब- नहीं। उन्हें भारत की नागरिकता लेने के लिए सामान्य प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके लिए उसे या तो पंजीकरण करवाना होगा अथवा नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में गुजराना होगा। CAA लागू होने के बाद भी द सिटिजिनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।

सवाल- क्या नागरिकता संशोधन ऐक्ट में नस्ल, लिंग, राजनीतिक अथवा सामाजिक संगठन का हिस्सा होने, भाषा व जातीयता के आधार पर होने वाले भेदभाव से पीड़ित लोगों को भी संरक्षण देने का प्रस्ताव है?

जवाब- नहीं। CAA सिर्फ भारत के तीन करीबी देशों, जिनका अपना राजधर्म है, के छह अल्पसंख्यक समुदायों की सहायता करने के उद्देश्य से लाया गया है। विदेश में किसी अन्य प्रकार के उत्पीड़न का शिकार कोई भी व्यक्ति, अगर द सिटीजनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत आवश्यक शर्तों का पालन करता है तो वह पंजीकरण और नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में व्यतीतकर, नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।



सवाल- क्‍या नागरिकता संशोधन कानून धीरे-धीरे भारतीय मुस्लिमों को भारत की नागरिकता से बाहर कर देगा?

जवाब- नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक पर किसी भी तरह से लागू नहीं होगा। सभी भारतीय नागरिकों को मूलधिकार मिला हुआ है जिसकी गारंटी भारतीय संविधान ने दी है। सीएए का मतलब किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित करना नहीं है। इसकी बजाय यह एक विशेष कानून है जो विदेशी नागरिकों खासकर तीन पड़ोसी देशों के लोगों को भारतीय नागरिकता देगा जो कुछ विशेष परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।

सवाल- क्‍या नागरिकता संशोधन कानून के बाद एनआरसी आएगा और मुस्लिमों को छोड़कर सभी प्रवासियों को नागरिकता देगा और मुसलमानों को हिरासत शिविरों में भेज दिया जाएगा?

जवाब- नागरिकता संशोधन कानून का एनआरसी से कोई लेना- देना नहीं है। एनआरसी का कानूनी प्रावधान दिसंबर 2004 से नागरिकता कानून, 1955 का हिस्‍सा है। इसके अलावा इन कानूनी प्रावधानों को संचालित करने के लिए विशेष वैधानिक नियम बनाए गए हैं। ये भारतीय नागरिकों के पंजीकरण और उनको राष्‍ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये कानूनी प्रावधान कानून की किताबों में पिछले 15-16 साल से हैं। सीएए ने इसे किसी भी तरह से नहीं बदला है।

सवाल- नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता के लिए क्‍या नियम है?

जवाब- इस ऐक्ट के तहत समुचित नियम बनाए गए हैं। ये नियम सीएए के विभिन्‍न प्रावधानों को अमल में लाएंगे।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

नियोजित शिक्षकों को मिलेगा जिलास्तर तबादला



राज्य के 3.57 लाख नियोजित शिक्षकों को प्रोन्नति से लेकर तबादले तक का लाभ मिलेगा। इन शिक्षकों का जिलास्तर पर तबादला हो सकेगा। नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली का ड्राफ्ट शिक्षा विभाग ने तैयार कर लिया है।

अगले साल मार्च के बाद संशोधित रूप से नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली लागू होगी। सेवा शर्त लागू करने के लिए शिक्षा विभाग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हरी झंडी का इंतजार है।

लगभग चार साल से नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली लागू करने का मामला अटका हुआ है। सेवा शर्त तैयार करने के लिए विभाग में कमेटी बनी थी जिसमें शिक्षक संघों ने सुझाव भी दिया था। 

प्रारंभिक स्तर पर सेवा शर्त नियमावली का डाफ्ट तैयार कर लिया गया था, लेकिन समान काम के बदले समान वेतन देने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह मामला अटक गया था। 

आपको बता दे कि अभी प्रारंभिक और हाईस्कूलों में शिक्षकों का नियोजन चल रहा है। विभागीय अधिकारी के अनुसार शिक्षकों की नियोजन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सेवा शर्त लागू होगी। विधानसभा चुनाव अधिसूचना जारी होने के पहले सरकार सेवा शर्त लागू कर देगी।

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

छात्रों के कारण प्रधानाध्यापक पर गिरी गाज।





राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय कदमकुआं के 70 छात्रों ने मंगलवार को स्कूल के वर्तमान प्राचार्य विजय कुमार भास्कर को हटाने की मांग को लेकर ताला जड़ दिया और स्कूल के प्रबंधन और प्राचार्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।


इस कारण से  प्राचार्य और शिक्षकों को लगभग छह घंटा स्कूल के बाहर खड़ा रहना पड़ा।इसकी खबर मिलते ही प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और विरोध कर रहे छात्रों को समझाने का प्रयास किया,लेकिन वे प्राचार्य को अविलंब हटाने की मांग पर अड़े रहे।



छात्रों ने  विद्यालय में ब्रेल पुस्तक, दैनिक उपयोगी सामग्रियों को समय पर उपलब्ध कराने, विद्यालय को टेन प्लस टू का दर्जा देने, दोपहर का खाना शीघ्र चालू करने सहित अन्य मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की।

मामले को देखते हुए सहायक निदेशक दिलीप कुमार ने छात्रों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शन कर रहे छात्र जिला शिक्षा पदाधिकारी को बुलाने पर अड़े थे।

आपको बता दे कि दोपहर ढाई बजे जिला शिक्षा पदाधिकारी ज्योति कुमार ने स्कूल के प्राचार्य विजय कुमार भास्कर को अविलंब हटाने का आदेश जारी किया।