समान काम का समान वेतन मामले में नियोजित शिक्षक अब सरकार से आर-पा के मूड हैं। सुप्रीम कोर्ट से 10 मई को लगे
झटके के बाद शिक्षकों में उदासी छा गई है।
शिक्षक बिहार सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार पर भी गुस्साए हुए हैं। 9 मई को सुनवाई के लिए केस के लिस्टेड होने के बाद से ही सभी शिक्षक अपने पक्ष में फैसले आने की उम्मीद पाल रखे थे। मगर 10 मई को सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिक्षकों के विपरीत आते ही सभी काफी निराश हो गए। शिक्षकों की समान काम का समान वेतन की यह लड़ाई विगत 10 साल से चल रही थी।
पटना हाईकोर्ट ने दो साल पहले ही शिक्षकों के हक में फैसला
सुनाया था। लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। नियोजित शिक्षकों की याचिका पर आठ साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद पटना
हाइकोर्ट ने साल 2017 में अपना फैसला शिक्षकों के पक्ष में दिया था।
लेकिन इस फैसले को चुनौती राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दे दी। जिसके बाद सूबे के शिक्षकों संघों ने देश के जाने-माने वकीलों की फौज खड़ी कर अपनी लड़ाई लड़ी। लंबी सुनवाई
भी हुई।राज्य और केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई।
सुनवाई पूरी होने के कई माह बाद फैसला आया तो शिक्षक हैरान रह गए। पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार के 3.5 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को मायूसी हाथ लगी है।
जिले के सभी कोटि के नियोजित शिक्षक गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद बिहार सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करेंगे। जिले के कई शिक्षकों ने तो सीआरसीसी और एचएम के पद से इस्तीफा भी दे दिया है।