शनिवार, 16 मार्च 2019

मध्यान भोजन को लेकर सरकार हुई सख्त।देखिए एक रिपोर्ट



मध्यान भोजन योजना में गुणवत्ता बनाये रखने के लिए निदेशालय स्तर से निगरानी की तैयारी है।एमडीएम की जांच
के बाद गुणवत्ता में कमी आने के बाद सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है।

सभी जिला स्तर के पदाधिकारियों को इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी देते हुए रिपोर्ट तलब की गयी है।सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में जीविका के माध्यम से ही एमडीएम उपलब्ध कराया जायेगा।



हेडमास्टरों को इससे मुक्त कर दिया जायेगा।हालांकि स्कूल स्तर पर गुणवत्ता बनाये रखवाने की जिम्मेदारी हेडमास्टर की ही होगी। हर तीन माह में एक बार निदेशालय स्तर से समीक्षा का  प्रावधान किया गया है।



आपको बता दे कि सरकार ने पांच जिलों में एमडीएम की सैंपलिंग करायी थी।इसे नागपुर के एक लैब में जांच के लिए भेजा गया था। गुणवत्ता में खराबी पायी गयी थी।एमडीएम में पोषक तत्वों की कमी मिली थी। इसका कारण निदेशालय स्तर से तय निर्देश का पालन नहीं करना बताया गया था।



आपको बता दे कि प्रदेश के 12 जिलों में एनजीओ के माध्यम से एमडीएम उपलब्ध कराया जाता है. इनमें औरंगाबाद, बोका, बेगूसराय, भागलपुर, गया, जमुई,कैमूर, कटिहार, नालंदा, रोहतास, शिवहर, वैशाली जिले शामिल हैं।



और 2 जिलो में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जीविका के द्वारा मध्यान भोजन तैयार करवाया जा रहा है अगर ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो शिक्षको को मध्यान भोजन से मुक्ति मिल जाएगी।


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