कभी छह तो कभी सात महीने पर वेतन मिला। नवंबर 18 से अबतक वेतन मिला ही नहीं। पत्नी कैंसर की मरीज थी।वेतन के अभाव में उसका समुचित इलाज नहीं करा सका।
शिक्षक का कहना है कि बैंक से लोन लिया, रिश्तेदारों-दोस्तों से मदद ली। अब तो कोई मदद भी नहीं कर रहा। पत्नी को तो बचा नहीं पाया, अब उसके श्राद्धकर्म के लिए भटक रहा हूं।
शुक्रवार को पारू म.वि. बड़ादाउद में शारीरिक शिक्षक के रूप में कार्यरत प्रवीण कुमार यह कहकर फफक पड़े। शिक्षा विभाग में वेतन को लेकर अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ प्रवीण कुमार ने मानवाधिकार से लेकर पीएम तक से गुहार लगाई है।
उनकी पत्नी 44 वर्षीया किरण कुमारी की मौत15 फरवरी को हो गई थी। आंनदपुरी स्थित घर में पत्नी की फोटो को गले से लगाकर बच्चों को रोते देख प्रवीण कहते हैं कि आज उनके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि पत्नी का श्राद्धकर्म कर सके।
अपने ही पैसे के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं। विभाग से एक साल का पैसा वेतन मद में भेजा जा चुका है, मगर नवंबर से ही वेतन नहीं मिला है। नौकरी के बल पर ही शहर में रह कर बच्चों की पढ़ाई से लेकर पत्नी का इलाज करा रहा था। 26 फरवरी को क्रियाकर्म है।
शिक्षक संघो को ये जरूर सोचना चाहिए कि आखिर कब तक शिक्षक इस तरह घुट घुट के मरेगा । इस पर संघो को कोई ठोस कदम जरूर उठाना चाहिए।
शिक्षक संघो को ये जरूर सोचना चाहिए कि आखिर कब तक शिक्षक इस तरह घुट घुट के मरेगा । इस पर संघो को कोई ठोस कदम जरूर उठाना चाहिए।
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