रविवार, 29 दिसंबर 2019

NRC में शामिल होने के लिए आपके पास होने चाहिए ये डाक्यूमेंट्स।देखिए एक रिपोर्ट



NRC में शामिल होने के लिए आपके पास होने चाहिए ये डाक्यूमेंट्स


ऐसी खबरें आ रही हैं कि हरियाणा (Haryana) के बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भी ऐसा राज्य हो सकता है, जो अपने यहां एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) लागू कर सकता है. ऐसे में आपके पास कौन से ऐसे दस्तावेज होने चाहिए, जिससे आप इस देश के नागरिक माने जाएंगे. एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए दावा प्रपत्र की सूची-ए में दस पैतृक दस्तावेज पर भरोसा किया जाएगा इससे तय होगा कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं. इस समय ये बड़ा सवाल पूरे देश में कौंध रहा है कि अगर कल को उन्हें अपनी नागरिकता का सबूत देना पड़े तो कैसे देंगे. हम आपको बताते हैं कि आपके पास कौन से डाक्यूमेंट्स होने चाहिए संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है. इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं. संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।




नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ. एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं. एक्ट के जरिए केंद्र सरकार के पास ये अधिकार है कि वो किसे भारत का नागरिक माने और किसे नहीं।


संविधान में भारतीय नागरिकता को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश हैं
इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं. अन्यथा आपका नाम इसमें शामिल नहीं हो सकेगा.
1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.
3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट.
4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र.
5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.
6) बैंक/डाक घर में खाता.
7) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र.
9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज.




कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं?
संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है. संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा. भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा.


एनआरसी को लेकर केंद्र सरकार ने असम में सख्त कदम उठाए हैं
अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा. अगर कोई व्यक्ति यहां 5 साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है.
संविधान का अनुच्छेद 6
संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
संविधान का अनुच्छेद 7
संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है. इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है. ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे.




गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा के चुनाव प्रचार में भी ये कह चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी लागू होगा और देश में गैरकानूनी तरीके से रह रहे बाहरी लोगों को निकाला जाएगा।

संविधान का अनुच्छेद 8
संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो. ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा.
संविधान का अनुच्छेद 9
संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी.


संविधान का अनुच्छेद 10
संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है. इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा. सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी.
संविधान का अनुच्छेद 11
संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है. इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है।

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

NPR को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल हैं। आइए जानते हैं क्या है NPR और क्या है इसका मकसद।





राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर: कैसे बनेगा, क्या जुड़ेगा... एनपीआर के बारे में जानें सब कुछ


नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। 2021 की जनगणना से पहले अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक रजिस्टर को अपडेट किया जाएगा। एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून पर बहस के बीच एनपीआर यानी नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर को लेकर भी लोगों के तमाम सवाल हैं। आइए जानते हैं क्या है एनपीआर और क्या होंगे इसके मकसद...

क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर?
एनपीआर भारत में रहने वाले स्वाभाविक निवासियों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है।
क्या हैं इस स्कीम के उद्देश्य?
देश के हर निवासी की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के अधार पर उनका डेटाबेस तैयार करना इसका अहम उद्देश्य है। सरकार अपनी योजनाओं को तैयार करने, धोखाधड़ी को रोकने और हर परिवार तक स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करती है।
किन प्रावधानों के तहत तैयार होता है नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर?
नागरिकता कानून, 1955 को 2004 में संशोधित किया गया था, जिसके तहत एनपीआर के प्रावधान जोड़े गए। सिटिजनशिप ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 14A में यह प्रावधान तय किए गए हैं- - केंद्र सरकार देश के हर नागरिक का अनिवार्य पंजीकरण कर राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी कर सकती है। - सरकार देश के हर नागरिक का रजिस्टर तैयार कर सकती है और इसके लिए नैशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी गठित की जा सकती है।

क्या एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है?
नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधन के मुताबिक सेक्शन 14 के तहत किसी भी नागरिक के लिए एनपीआर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। नैशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और एनपीआर इस दिशा में पहला कदम है।

एनपीआर में कैसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?
अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 के दौरान एनपीआर तैयार करने में जुटे कर्मी घर-घर जाकर डेटा जुटाएंगे। इसके बाद इस इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के तौर पर तैयार किया जाएगा। फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स जैसी चीजों को इसमें शामिल किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एनपीआर तय करने के लिए नियुक्त किए गए सरकारी अधिकारियों की देखरेख में होगी।

एनपीआर में कौन सी जानकारियां दर्ज होंगी?
एनपीआर रजिस्टर में ये जानकारियां होंगी। व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम (यदि विवाहित हैं), लिंग, जन्मतिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बॉयोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा। 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा।

क्या एनआरआई भी होंगे एनपीआर का हिस्सा?
एनआरआई भारत के आम नागरिक नहीं माने जाते और उनके बाहर रहने के चलते उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यदि वह भारत आते हैं और यहां रहने लगते हैं तो उन्हें भी एनपीआर में शामिल किया जा सकता है।

जानबूझकर या गलती से गलत जानकारी देने पर क्या होगा?
यदि एनपीआर के तहत आप गलत सूचना देते हैं तो सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के तहत आपको जुर्माना अदा करना होगा।

क्या एनपीआर के तहत पहचान पत्र जारी होता है?
सरकार एनपीआर के तहत आइडेंटिटी कार्ड जारी करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। यह एक तरह का स्मार्ट कार्ड होगा, जिसमें आधार का भी जिक्र होगा।

एनपीआर और आधार के बीच क्या संबंध है?
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक आम रजिस्टर है। इसके तहत जुटाए गए डेटा को यूआईडीएआई को री-ड्युप्लिकेशन और आधार नंबर जारी करने के लिए भेजा जाएगा। इस रजिस्टर में तीन मुख्य चीजें- डेमोग्राफिक डेटा, बॉयोमीट्रिक डेटा और आधार नंबर शामिल होंगे।


डीएलएड सत्र 2020-22 में नामांकन की तिथि बढ़ी।



डीएलएड पाठ्यक्रम के सत्र 2020-2022 में नामाकन हेतु सयुक्त प्रवेश परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के लिए अच्छी  खबर है।

आपको बता दे कि डीएलएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा. 2020 के लिए ऑनलाईन परीक्षा आवेदन-पत्र भरने एवं शुल्क जमा करने हेतु तिथि दिनांक 25.12.2019 से 29.12.2019 तक विस्तारित कर दिया गया है एवं त्रुटि सुधार दिनांक 30.12.2019 से 03.01.2020 तक कर सकते है।




विभाग ने पत्र जारी करके डी०एल०एड० पाठ्यक्रम सत्र-2020-2022 में नामांकन लेने हेतु संयुक्त प्रवेश परीक्षा, 2020 की तिथि में हुए बदलाव की जानकारी दिया है।

संघ ने कहा मानव श्रृंखला का विरोध करेंगे शिक्षक।




पटना : लंबित वेतनमान और समान सेवाशर्त सहित अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर नियोजित शिक्षकों ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम दिया है। शिक्षकों ने कहा है कि अगर राज्य सरकार 15 जनवरी 2020 से पहले उनकी मांगें मान कर सभी सुविधाएं देने की घोषणा नहीं करने पर 19 जनवरी को होने वाली मानव श्रृंखला का विरोध करेंगे। 



इस बीच 19 जनवरी 2020 को होने वाले जल जीबन एवं हरियाली विषय पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला के कार्यक्रम का सभी शिक्षक बहिष्कार करेंगे और किसी कीमत पर मानव श्रृंखला में शिरकत नहीं करेंगे।



बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्यअध्यक्ष सह संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने गुरुवार को कह्य कि सबसे दुखद बात है कि 30 वर्ष पहले शिक्षकों ने अपने आंदोलन के बल पर सरकार से जो सुविधाएं हासिल की थीं, वर्तमान की सरकार धीरे-धीरे उसे समाप्त कर शिक्षकों से छीन लेने पर आमादा है।




बुधवार, 18 दिसंबर 2019

नागरिकता संशोधन कानून: किस पर कैसे होगा क्या असर, जानें- सभी सवालों के जवाब






नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पूर्वोत्तर से लेकर दिल्ली तक देश के कई हिस्सों में चल रहे प्रदर्शनों के बीच सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखा है। इस ऐक्ट को लेकर समाज में फैली कई तरह की भ्रांतियों को लेकर गृह मंत्रालय ने सभी अहम सवालों के जवाब दिए हैं। आइए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं आखिर क्या है नागिरकता संशोधन कानून और किस पर क्या होंगे इसके असर...


सवाल- क्या नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी नागरिक पर प्रभाव डालता है?


जवाब- नहीं। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में वर्णित मूल अधिकार मिले हुए हैं। नागरिकता संशोधन कानून या अन्य कोई भी चीज उनसे इन्हें वापस नहीं ले सकती। यह एक तरह का दुष्प्रचार चल रहा है। नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम समुदाय के लोगों समेत किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं डालता।




सवाल- फिर नागरिकता संशोधन कानून किस पर लागू होता है?


जवाब- यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है। इसके अलावा इन तीन देशों से भारत आए मुस्लिमों या फिर अन्य विदेशियों के लिए यह ऐक्ट नहीं है।


सवाल- पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को इससे क्या फायदा है?

जवाब- यदि उनके पास पासपोर्ट, वीजा जैसे दस्तावेजों का अभाव है और वहां उनका उत्पीड़न हुआ हो तो वह भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता संशोधन कानून ऐसे लोगों को नागरिकता का अधिकार देता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को जटिल प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और जल्द भारत की नागरिकता मिलेगी। इसके लिए भारत में एक से लेकर 6 साल तक की रिहाइश की ही जरूरत होगी। हालांकि अन्य लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने को 11 साल भारत में रहना जरूरी है।




सवाल- क्या इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम कभी भारत की नागरिकता नहीं ले सकेंगे?


जवाब- नहीं। सिटिजनशिप ऐक्ट के सेक्शन 6 में किसी भी विदेशी व्यक्ति के लिए नैचरलाइजेशन के जरिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का प्रावधान है। इसके अलावा ऐक्ट के सेक्शन 5 के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। यह दोनों ही प्रावधान जस के तस मौजूद हैं। बीते कुछ सालों में भी इन तीनों देशों से आने वाले सैकड़ों मुस्लिमों को इन्हीं प्रावधानों के तहत भारत की नागरिकता दी गई है। भविष्य में भी यदि योग्य पाए जाते हैं तो ऐसे लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए उनका धर्म या फिर संख्या मायने नहीं रखती। 2014 के आंकड़ों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सीमा के निर्धारण के बाद से 14,864 बांग्लादेशी लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई। इनमें कई हजार लोग मुस्लिम समुदाय के भी थे।



सवाल- क्या इन तीन देशों से गैर-कानूनी रूप से भारत आए मुस्लिम अप्रवासियों को CAA के अंतर्गत वापस भेजा जाएगा?

जवाब- नहीं। CAA का किसी भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है। किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, की प्रक्रिया फॉरनर्स ऐक्ट 1946 और /अथवा पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के तहत की जाती है। ये दोनों कानून, सभी विदेशियों- चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों, देश में प्रवेश करने, रिहाइश, भारत में घूमने-फिरने और देश से बाहर जाने की प्रक्रिया को देखते हैं।
इसलिए सामान्य निर्वासन प्रक्रिया सिर्फ गैरकानूनी रूप से भारत में रह रहे विदेशियों पर लागू होगी। यह पूरी तरह सोच-समझ कर बनाई गई कानूनी प्रक्रिया है जो स्थानीय पुलिस अथवा प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए की गई जांच के बाद तैयार की गई है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गैरकानूनी विदेशी को उसके देश के दूतावास/उच्चायोग ने उचित यात्रा दस्तावेज दिए गए हों ताकि जब उन्हें डिपोर्ट किया जाए तो उनके देश के अधिकारियों द्वारा उन्हें सही प्रकार से रिसीव किया जा सके।
असल में, ऐसे लोगों को देश से बाहर भेजने की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब कोई व्यक्ति को द फॉरनर्स ऐक्ट, 1946 के तहत 'विदेशी' साबित हो जाएगा। इसलिए पूरी प्रक्रिया में स्वचालित, मशीनी या भेदभावपूर्ण नहीं है। राज्य सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास फॉरनर्स ऐक्ट के सेक्शन 3 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) ऐक्ट 1920 के सेक्शन 5 के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रदुत्त शक्तियां होती हैं, जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है, हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है।



सवाल- क्या इन तीन देशों के अलावा अन्य देशों में धार्मिक आधार पर भेदभाव का सामना कर रहे हिंदू भी CAA के अंतर्गत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं?

जवाब- नहीं। उन्हें भारत की नागरिकता लेने के लिए सामान्य प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके लिए उसे या तो पंजीकरण करवाना होगा अथवा नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में गुजराना होगा। CAA लागू होने के बाद भी द सिटिजिनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।

सवाल- क्या नागरिकता संशोधन ऐक्ट में नस्ल, लिंग, राजनीतिक अथवा सामाजिक संगठन का हिस्सा होने, भाषा व जातीयता के आधार पर होने वाले भेदभाव से पीड़ित लोगों को भी संरक्षण देने का प्रस्ताव है?

जवाब- नहीं। CAA सिर्फ भारत के तीन करीबी देशों, जिनका अपना राजधर्म है, के छह अल्पसंख्यक समुदायों की सहायता करने के उद्देश्य से लाया गया है। विदेश में किसी अन्य प्रकार के उत्पीड़न का शिकार कोई भी व्यक्ति, अगर द सिटीजनशिप ऐक्ट, 1955 के तहत आवश्यक शर्तों का पालन करता है तो वह पंजीकरण और नागरिकता हासिल करने के लिए आवश्यक समय भारत में व्यतीतकर, नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।



सवाल- क्‍या नागरिकता संशोधन कानून धीरे-धीरे भारतीय मुस्लिमों को भारत की नागरिकता से बाहर कर देगा?

जवाब- नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक पर किसी भी तरह से लागू नहीं होगा। सभी भारतीय नागरिकों को मूलधिकार मिला हुआ है जिसकी गारंटी भारतीय संविधान ने दी है। सीएए का मतलब किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित करना नहीं है। इसकी बजाय यह एक विशेष कानून है जो विदेशी नागरिकों खासकर तीन पड़ोसी देशों के लोगों को भारतीय नागरिकता देगा जो कुछ विशेष परिस्थिति का सामना कर रहे हैं।

सवाल- क्‍या नागरिकता संशोधन कानून के बाद एनआरसी आएगा और मुस्लिमों को छोड़कर सभी प्रवासियों को नागरिकता देगा और मुसलमानों को हिरासत शिविरों में भेज दिया जाएगा?

जवाब- नागरिकता संशोधन कानून का एनआरसी से कोई लेना- देना नहीं है। एनआरसी का कानूनी प्रावधान दिसंबर 2004 से नागरिकता कानून, 1955 का हिस्‍सा है। इसके अलावा इन कानूनी प्रावधानों को संचालित करने के लिए विशेष वैधानिक नियम बनाए गए हैं। ये भारतीय नागरिकों के पंजीकरण और उनको राष्‍ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। ये कानूनी प्रावधान कानून की किताबों में पिछले 15-16 साल से हैं। सीएए ने इसे किसी भी तरह से नहीं बदला है।

सवाल- नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता के लिए क्‍या नियम है?

जवाब- इस ऐक्ट के तहत समुचित नियम बनाए गए हैं। ये नियम सीएए के विभिन्‍न प्रावधानों को अमल में लाएंगे।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

नियोजित शिक्षकों को मिलेगा जिलास्तर तबादला



राज्य के 3.57 लाख नियोजित शिक्षकों को प्रोन्नति से लेकर तबादले तक का लाभ मिलेगा। इन शिक्षकों का जिलास्तर पर तबादला हो सकेगा। नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली का ड्राफ्ट शिक्षा विभाग ने तैयार कर लिया है।

अगले साल मार्च के बाद संशोधित रूप से नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली लागू होगी। सेवा शर्त लागू करने के लिए शिक्षा विभाग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हरी झंडी का इंतजार है।

लगभग चार साल से नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली लागू करने का मामला अटका हुआ है। सेवा शर्त तैयार करने के लिए विभाग में कमेटी बनी थी जिसमें शिक्षक संघों ने सुझाव भी दिया था। 

प्रारंभिक स्तर पर सेवा शर्त नियमावली का डाफ्ट तैयार कर लिया गया था, लेकिन समान काम के बदले समान वेतन देने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह मामला अटक गया था। 

आपको बता दे कि अभी प्रारंभिक और हाईस्कूलों में शिक्षकों का नियोजन चल रहा है। विभागीय अधिकारी के अनुसार शिक्षकों की नियोजन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सेवा शर्त लागू होगी। विधानसभा चुनाव अधिसूचना जारी होने के पहले सरकार सेवा शर्त लागू कर देगी।

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

छात्रों के कारण प्रधानाध्यापक पर गिरी गाज।





राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय कदमकुआं के 70 छात्रों ने मंगलवार को स्कूल के वर्तमान प्राचार्य विजय कुमार भास्कर को हटाने की मांग को लेकर ताला जड़ दिया और स्कूल के प्रबंधन और प्राचार्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।


इस कारण से  प्राचार्य और शिक्षकों को लगभग छह घंटा स्कूल के बाहर खड़ा रहना पड़ा।इसकी खबर मिलते ही प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और विरोध कर रहे छात्रों को समझाने का प्रयास किया,लेकिन वे प्राचार्य को अविलंब हटाने की मांग पर अड़े रहे।



छात्रों ने  विद्यालय में ब्रेल पुस्तक, दैनिक उपयोगी सामग्रियों को समय पर उपलब्ध कराने, विद्यालय को टेन प्लस टू का दर्जा देने, दोपहर का खाना शीघ्र चालू करने सहित अन्य मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की।

मामले को देखते हुए सहायक निदेशक दिलीप कुमार ने छात्रों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शन कर रहे छात्र जिला शिक्षा पदाधिकारी को बुलाने पर अड़े थे।

आपको बता दे कि दोपहर ढाई बजे जिला शिक्षा पदाधिकारी ज्योति कुमार ने स्कूल के प्राचार्य विजय कुमार भास्कर को अविलंब हटाने का आदेश जारी किया।





गुरुवार, 28 नवंबर 2019

21 जनवरी को नहीं बनेगा मानव श्रृंखला।





शराबबंदी और बाल विवाह व दहेजमुक्त विवाह के तर्ज पर जल-जीवन-हरियाली मिशन को लेकर 21 जनवरी, 2020 को प्रस्तावित मानव श्रृंखला की तिथि बदल दी गयी है।

अब यह 19 जनवरी 2020 को आयोजित होगी।शिक्षा विभाग ने बुधवार को इसकी नयी तिथि घोषित की। विभाग के शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक विनोदानंद झा ने इसकी पुष्टि की। इससे पहले मंगलवार को मद्यनिषेध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली को लेकर 21 जनवरी को मानव श्रृंखला आयोजित करने का एलान किया था।

लेकिन 21 जनवरी को मंगलवार पड़ रहा था, जबकि इससे पहले की दोनों ही मानव श्रृंखलाएं रविवार को आयोजित की गयी थीं. इसको देखते हुए इस बार भी प्रस्तावित मानव श्रृंखला की तिथि को दो दिन पहले 19 जनवरी  रविवार को किया गया है।

बुधवार, 27 नवंबर 2019

मध्याह्न भोजन योजना किस श्रेणी में आता है? शैक्षणिक अथवा गैर शैक्षणिक। देखिए विभाग ने क्या दिया जवाब




पटना


सूचना का अधिकार का प्रयोग करके जब विभाग से पूछा गया कि मध्याह्न भोजन योजना किस श्रेणी में आता है? शैक्षणिक अथवा गैर शैक्षणिक।

यदि गैर शैक्षणिक है तो शिक्षकों से या विद्यालय प्रधान से इसकी सेवा किस आधार पर ली जाती है और कब तक ली जाएगी?



न्याययालीय आदेश के बावजूद विद्यालीय प्रधान की जिम्मेदारी से मुक्ति कब तक मिलेगी? और नहीं मिलेगी तो क्यों?



इन सवालो का विभाग ने जवाब देते हुए कहाँ की मध्यान भोजन योजना गैर शैक्षणिक है। और मध्याहन भोजन योजना का सचालन विद्यालय शिक्षा समिति द्वारा किया जाता है प्रधानाध्यापक द्वारा योजना का केवल अनुश्रवण किया जाता है।




सरकार के अड़ियल रवैया से परेशान शिक्षक।




पटना

एनआईओएस से 18 महीने के डीएलएड कोर्स को बिहार सरकार मान्यता दे और ऐसे सभीएनआईओएस से 18 महीने के डीएलएड कोर्स को बिहार सरकार मान्यता दे और ऐसे सभी शिक्षकों को नियोजन में शामिल किया जाए। मणिपुर की तरह बिहार सरकार भी एनआईओएस से प्रशिक्षित शिक्षक को मान्यता दे।

इन मांगों को लेकर शिक्षक मंगलवार को सड़क पर उतरे। इसमें प्रदेशभर के लगभग दो हजार से अधिक शिक्षक शामिल हुए। शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति से शुरू हुआ। हाथ में बैनर लिये शिक्षक अपनी मांग के साथ गांधी मैदान होते हुए डाक बंगला चौराहे पर आये।


डाक बंगला चौराहे पर शिक्षकों को पुलिस ने रोक दिया। शिक्षकों को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। इसके बाद शिक्षक वहीं बैठकर नारेबाजी करने लगे। फिर पुलिस ने शिक्षकों को जबरदस्ती वहां से हटाने की कोशिश की। 


इससे शिक्षक और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। कई शिक्षकों को पुलिस ने बहुत पीटा। इस दौरान झड़प और तेज हो गयी। शिक्षकों के विरोध करने पर कई शिक्षकों को पुलिस ने पकड़ लिया। इनमें इंद्रलोक कुमार, राजकिशोर, अभय कुमार, निर्भय कुमार आदि शिक्षक शामिल थे।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एनआईओएस डीएलएड शिक्षक संघ के सूरज गुप्ता ने बताया कि पीएमओ ने डीएलएड को मान्यता दे दी है। इससे मणिपुर राज्य में शिक्षकों को मान्यता दी गयी है। हमें डाक बंगला चौराहे पर रोक दिया गया। पुलिस ने कई शिक्षकों को पीटा है। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गयीं तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा।


बुधवार, 20 नवंबर 2019

26 नवंबर से स्कूलों के कार्यक्रम में हो रहा है बदलाव।




स्कूलों में संसद बनेगा जहां बच्चे देश के संविधान के विभिन्न पहलुओं को जानेगे और उनसे लोगों को अवगत भी कराएंगे।26 नवंबर संविधान दिवस से इसकी शुरुआत सभी प्राइमरी से लेकर प्लस 2 सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में करनी है। अभियान के तहत अंबेडकर जयंती अप्रैल 2020 तक स्कूलों में विभिन्न गतिविधियां चलानी हैं।

बच्चों से लेकर शिक्षकों, कर्मचारियों को संविधान का महत्व और लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारतीय संविधान की विशेषता बताने के लिए सरकार ने छह महीने की विशेष कार्ययोजना बनाई है।

प्राइमरी, मिडिल,हाईस्कूल और प्लस 2 स्कूल के बच्चों के लिए अलग-अलग शेक्षणिक कैलेंडर बनाया गया है। इसमें स्कूली बच्चे मॉक संसद के आयोजन से लेकर जनप्रतिनिधि, वकील से रूबरू होंगे।


डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान डॉ.अमरेन्द्र पांडेय ने बताया कि इसके लिए सभी बीईओ को निर्देश दिया गया है। हर महीने का शैक्षणिक कैलेंडर बनाकर दिया गया है। किस महीने कौन सी गतिविधि करानी है, उसे बीईओ स्कूलों में कराएंगे।

इसके तहत प्रार्थना के समय मौलिक कर्तव्य का वाद विवाद, सेमिनार जैसी गतिविधियां होंगी। उद्देश्य है कि बच्चे संविधान के हर पहलू को जान सके।

डीपीओ ने बताया कि हमारे संविधान में 448 अनुच्छेद हैं। इसमें 12 अनुसूचियां, 94 संशोधन और 48 आर्टिकल हैं इसे हिंदी और अंग्रेजी में हाथों से लिखा गया था। इसे बनाने में 2 साल 11 महीने लगे थे। इस प्रयास से इन सारी बातों को बच्चे जानेंगे।

शिक्षकों के मिलने वाले लाभ पर सरकार ने लगाया ग्रहण।



पटना


नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ देने के मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार एलपीए के जरिये चुनौती देगी। इस लिए अब एलपीए का फैसला आने तक नियोजित शिक्षकों को इंतजार करना होगा। 

आपको बता दे कि पटना उच्च न्यायालय ने नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ के दायरे में लाने का आदेश दिया था। इसक मद्देनजर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय निदेशक ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसे लागू करने को कहा था।



जिसके लिए शिक्षा विभाग ने विधि विभाग से परामर्श मांगा था।अब यह तय माना जा रहा है कि इस मामले में राज्य सरकार एलपीए के जरिये हाई कोर्ट में जायेगी। 

आपको बता दे कि हाई कोर्ट का अगला निर्णय आने के बाद ही यह तय हो पायेगा की शिक्षको को ईपीएफ का लाभ मिलेगा या नहीं। 



जब भी शिक्षको के हक में कोई फैसला आता है तब तब ये सरकार कोई न कोई पेच फसा देती है जिससे शिक्षको को मिलने वाला लाभ रुक जाता है। सरकार को शिक्षको को ईपीएफ का लाभ जरूर देना चाहिए।


बिहार के शिक्षको ने अवकाश पर जाने का किया ऐलान।





बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति,बिहार के आह्वान पर 25 नवंबर को प्रस्तावित पटना के सभी विधायक और विधानपार्षद के आवास पर धरना प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए चकाई प्रखंड अध्यक्ष सह जिला महासचिव जयप्रकाश पासवान की अध्यक्षता में कल चकाई प्रखंड के मध्य विद्यालय माधोपुर में शिक्षक संघ की बैठक सम्पन्न हुई ।




बैठक में सभी शिक्षकों ने आकस्मिक अवकाश लेकर सर्वसम्मति से 25 नवंबर की धरना को सफल बनाने का संकल्प लिया। बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल ने कहा कि सरकार जब तक शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान नही देती है तब तक सरकार के खिलाफ सड़क से सदन तक आक्रामक रूप से लड़ाई जारी रहेगी। 



आज की बैठक में जिलाध्यक्ष रवि कुमार यादव,जिला कोषाध्यक्ष राजीव वर्णवाल,चकाई उपसचिव सुरेश चंद्र यादव,उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार,मीडिया प्रभारी बबलू दुबे के साथ अन्य शिक्षक शामिल थे।



मंगलवार, 19 नवंबर 2019

बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी।




बिहार में नियोजित प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर विधि विभाग ने अपनी सहमति दे दी है जिसके बाद अब साढ़े चार लाख नियोजित शिक्षकों को भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ मिलेगा।




आपको बता दे कि नियोजित शिक्षकों को भविष्य निधि का लाभ देने के लिए शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के अनुसार, राज्य के सभी प्रकार के नियोजित शिक्षकों द्वारा ईपीएफ को लेकर पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। 

याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने सितंबर में राज्य सरकार को सभी नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ और एमपी एक्ट-1952 का लाभ देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने भविष्य निधि कार्यालय के रीजनल पीएफ कमिश्नर को इसकी जिम्मेदारी दी है।




वहीं हाईकोर्ट के आदेश पर पीएफ कमिश्नर ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था। इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ की सुविधा देने संबंधी प्रस्ताव भेजकर विधि विभाग से परामर्श मांगा था जिस पर मंजूरी मिल गई है। वहीं अब नियोजित को शिक्षकों ईपीएफ का लाभ मिलेगा।

बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए यह एक बहुत बड़ी राहत भरी खबर है जो आने वाले समय काफी लाभदायक साबित होगा।

सोमवार, 11 नवंबर 2019

मौलाना अब्दुल कलाम की जीवनी।देखिए एक रिपोर्ट








मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के अहम लीडरों में से एक थे। वह लीडर के साथ-साथ पत्रकार और लेखक भी थे।



उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक विद्वान थे जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं और उनके सैकड़ों शागिर्द (शिष्य) थे। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं।



साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कलकत्ता शिफ्ट हो गया था। 13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई। आइए आज उनकी पैदाइश की सालगिरह पर उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं...

शिक्षा

आजाद ने अपने परिवार की संस्कृति के मुताबिक पांपरिक इस्लामी शिक्षा हासिल की। पहले उनको घर पर पढ़ाया गया और बाद में उनके पिता ने पढ़ाया। फिर उनके लिए शिक्षक रखे गए। 

आजाद का संबंध एक धार्मिक परिवार से था इसलिए शुरुआत में उन्होंने इस्लामी विषयों का ही अध्ययन किया। उन्होंने कई भाषाओं जैसे उर्दू, हिंदी, फारसी, बंगाली, अरबी और इंग्लिश पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र, इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्य्यन किया। 




उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की जैसे देशों का सफर किया। पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, एक डिबेटिंग सोसायटी खोला और अपनी उम्र से दोगुने उम्र के छात्रों को पढ़ाया। 16 साल की उम्र में उन्होंने सभी परंपरागत विषयों का अध्ययन पूरा कर लिया था।



शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

11 नवंबर को करना स्कूलों के ये काम। पत्र हुवा जारी।





पटना के ज्ञान भवन में तीन दिनों का शिक्षा दिवस कार्यक्रम होगा। 10 नवंबर को राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी लगेगी। 11 नवंबर को मुख्य कार्यक्रम होगा। गुरुवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन की अध्यक्षता में शिक्षा दिवस की तैयारी पर बैठक हुई। 


बैठक के बाद विभाग ने पत्र जारी करके स्कूलों को निर्देश दिया है  कि प्रत्येक वर्ष भारत रत्न मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद का जन्म दिन 11 नवम्बर को पूरे राज्य में "शिक्षा दिवस" के रूप में मनाया जाएगा ।



प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी इस समारोह का आयोजन सभी विद्यालयों में निम्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करके किया जाएगा।



सबसे पहले स्कूलों में प्रातः कालीन प्रभात फेरी निकाली  जाएगी। उसके बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद के चित्र पर माल्यार्पण किया जाएगा तब फिर विद्यार्थियों के बीच मौलाना अबुल कलाम आजाद की जीवनी की विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा

विभागीय पत्र



बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

गाँधी जयंती पर स्लोगन।





स्वतंत्रता के लिए अंहिसा का पाठ पढ़ाया, गाधी नाम था सबके भीतर आजादी का स्वाभिमान जगाया।



दिन सुरमयी देशभक्ति का यह स्वर, आज आ गया है गाँधी जंयती का अवसर।



दिन सुरमयी देशभक्ति का यह स्वर, आज आ गया है गाँधी जंयती का अवसर।



अक्टूबर को मिलकर हम सब गाँधी जंयती मानायेंगे, अपने अच्छे कर्मो से उनके सपनों का भारत बनायेंगे।



अक्टूबर को मिलकर हम सब गाँधी जंयती मानायेंगे, अपने अच्छे कर्मो से उनके सपनों का भारत बनायेंगे।



महात्मा गाँधी कोई व्यक्ति नही अपने आप में एक क्रांति है, यह बात तो सारी दुनिया ही जानती है।



महात्मा गाँधी कोई व्यक्ति नही अपने आप में एक क्रांति है, यह बात तो सारी दुनिया ही जानती है।



ऐनक, धोती और लाठी है जिसकी पहचान, वो है हमारे बापू महात्मा गाँधी महान।



ऐनक, धोती और लाठी है जिसकी पहचान, वो है हमारे बापू महात्मा गाँधी महान।





स्वच्छता का कोई विकल्प नही, इस 2 अक्टूबर को दूसरा कोई संकल्प नही।



स्वच्छता का कोई विकल्प नही, इस 2 अक्टूबर को दूसरा कोई संकल्प नही।



जिन्होंने मार्टिन लूथर और मंडेला को अंहिसा का पाठ पढ़ाया, वह और कोई नही महात्मा गाँधी थे, जिन्होंने इन्हे अंहिसा का मार्ग दिखाया।



जिन्होंने मार्टिन लूथर और मंडेला को अंहिसा का पाठ पढ़ाया, वह और कोई नही महात्मा गाँधी थे, जिन्होंने इन्हे अंहिसा का मार्ग दिखाया।



कभी दांडी की यात्रा तो, कभी असहयोग आंदोलन का नारा, जिसके मन में थी अहिंसा की अलख, और कोई नही वो था बापू हमारा।



कभी दांडी की यात्रा तो, कभी असहयोग आंदोलन का नारा, जिसके मन में थी अहिंसा की अलख, और कोई नही वो था बापू हमारा।



कहकर नही करके दिखाया है जिस स्वतंत्र भूमि पर हम खड़े है, उसके लिए महात्मा गांधी जैसो ने अपना सर्वस्व लुटाया है।



कहकर नही करके दिखाया है जिस स्वतंत्र भूमि पर हम खड़े है, उसके लिए महात्मा गांधी जैसो ने अपना सर्वस्व लुटाया है।



ऐसे कई अवसर आये जब स्वतंत्रता मौत से बड़ी हो गई, गुलामी के इन रास्तो में कभी यह मंगल पांडेय तो कभी गाँधी बनकर खड़ी हो गई।



ऐसे कई अवसर आये जब स्वतंत्रता मौत से बड़ी हो गई, गुलामी के इन रास्तो में कभी यह मंगल पांडेय तो कभी गाँधी बनकर खड़ी हो गई।






गाँधी जी सबके दिल में रहते हैं, जिन्हे हम बापू भी कहते हैं ।



सत्य अहिंसा के अनुयायी, बापू ने स्वाधीनता दिलाई ।



भारत को जिसने स्वतंत्रता दिलाई वो सत्य अहिंसा का अनुयायी ।



सत्य और अहिंसा के गीत गाते रहेंगे, हम गाँधी जयंती यूँ ही मनाते रहेंगे ।



अहिंसा के प्रतिक, हमे दे गए सत्य की सिख ।



चला के चरखा पहन के खादी, बापू ने दिलवाई आज़ादी ।



उच्च विचार और अद्भुत काया, बापू को कोई समझ न पाया ।



दिला के स्वतंत्रता की शाम, अलविदा कह गए बोल के श्री राम ।



देश को जिन्होंने दिलाई आज़ादी, उन्हें बापू कहो या महात्मा गाँधी ।



अहिंसा के पुजारी और सत्यवादी, ऐसे थे महात्मा गाँधी ।



सिर्फ आजादी का नारा लगा लेने से हर कोई क्रांतिकारी नही बनता, अंहिसा का पाठ पड़ लेने से हर कोई गांधी नही बनता।




महात्मा गांधी कोई नाम नही आजादी की चिंगारी है, पूरे भारत को स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने वाले अंहिसा के पुजारी है।



ऐ बापू तुम लौटकर ना आना, जिनके लिए खोया तुमने सबकुछ उन्होंने ही तुम्हे अपना ना माना।



यदि तुमने महात्मा गाँधी को ना जाना, तो अभी तुमने भारत की आजादी के आधारशिला को ना पहचाना।



आओ मिलकर 2 अक्टूबर को गाँधी जंयती मनायें, साथ मिलकर अपने बापू के सपनो का भारत बनाये।



करना है तो जी जान से करो, इस दो अक्टूबर के अवसर पर बापू के सपनो का रामराज्य लाने का संकल्प करो।



महात्मा गाँधी एक व्यक्तित्व नही स्वंय में एक क्रांति है।



यदि हमें महात्मा गाँधी के सपनो को साकार करना है, तो पहले उनके आचरण और विचारो को अपनाना है।



गाँधी के विचारो को अपनाना असान नही है पर असंभव भी नही है।



गांधीवाद को अपनाना स्वयं महात्मा गांधी को आत्मसात करने के समान है



अंहिसा के मार्ग पर चलने के लिए हमे सर्वप्रथम दूसरो के भावनाओं का सम्मान करना होता है।



गाँधी जंयती के अवसर पर महात्मा गाँधी के विचारो को अपनाना ही उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजली होगी।



भले ही इस दो अक्टूबर को बापू की तस्वीर तुम दिवारो पर ना लटकाना, बस इस बार तुम सच्चे दिल से बापू के विचारो को अपनाना।




यह क्या बात हुई, तुम्हारी जिंदगी भला कैसे आत्मसात हुई, तुमने उनके लिए दो आंसू भी ना बहाये, जिन्होने देश के लिए अनगिनत कष्ट उठाये।



महात्मा गाँधी तो हमारे बीच नही है पर उनके विचार आज भी हमारे मार्गदर्शन के लिए मौजूद है।



बापू को तुम भूल ना जाना, आजादी कोई वस्तु नही इसका कभी तुम मूल्य ना लागाना।



बापू ने देश में स्वाभिमान को जो बीज बोया है, इसे हम सब को मिलकर एक विशाल वृक्ष बनाना है।



जब 2 अक्टूबर का दिन आता है, हमारे मस्तिष्क में यह अंहिसा के विचारो का सृजन कराता है।



इस अंहिसा के राह पे चलता हूँ, गीत नया गाता हूँ, आओ बच्चो तुम्हे आज महात्मा गांधी की कहानी सुनाता हूँ।



इस 2 अक्टूबर नये-नये तुम गीत गाओ, ज्यादे कुछ नही तो बस अंहिसा के गुण को अपनाओ।



इस 2 अक्टूबर को स्वेदेशी उत्पाद अपनाने का संकल्प करे और महात्मा गाँधी के राष्ट्र स्वावलम्बन के सपने को पूरा करने में अपना योगदान दे।



आजाद भारत का सपना साकार किया, हमारे बापू ने आजाद भारत को आकार दिया।



हमारे प्यारे बापू जिन्होंने पूरा किया आजाद भारत का सपना, इस सपने के लिए उन्होंने सबकुछ त्यागा अपना।



अंहिसा के मार्ग पर चलना है, हर बाधाओं को पूरा करके श्रेष्ठ भारत का सपना साकार करना है।



इस 2 अक्टूबर हमने किया है निश्चय, बापू के सपने का करेंगे संचय।



बापू करते थे देश और देशवासियों से सच्चा प्यार, आओ मिलकर अपनाए उनके सुविचार।



देश को तरक्की के मार्ग पर लाना है, बापू के विचारो को अपनाना है।



महात्मा गांधी के सपने को पूरा करना है, 2 अक्टूबर के दिन स्वच्छता में सबको सहयोग करना है।



गुलामी के जंजीरो को तोड़ दिया, महात्मा गांधी ने देश के लिए अपना सर्वस्व छोड़ दिया।



गांधी जी के विचारो को संजोए, भूलकर भी उनके आदर्शो और मूल्यों को ना खोए।



देश के लिए अपने प्राणों तक को कुर्बान किया, महात्मा गांधी थे एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने हर धर्म का सम्मान किया।





गुरुवार, 26 सितंबर 2019

विभाग ने दिया आदेश शिक्षको का कटेगा वेतन।





पांच सितंबर को विद्यालय से अनुपस्थित रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं का एक दिन का वेतन कटेगा।



इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को आदेशजारी किया है। शिक्षा विभाग ने बुधवार को जारी आदेश में कहा है कि पूर्व में आदेश दिया गया था कि पांच सितंबर को सभी विद्यालयों में शिक्षक दिवस समारोह होंगे और इस दिन विद्यालय में अनुपस्थित रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं को अनधिकृत रूप से गैरहाजिर माना जाएगा।


इसलिए आदेश दिया गया था कि अनधिकृत रूप से अनुपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं का पांच सितंबर का एक दिन का वेतन स्थगित रखा जाये।



आपको बता दे कि शिक्षक संगठनों ने 'समान काम, समान वेतन' की मांग को लेकर गत पांच सितंबर को हड़ताल का आह्वान किया था और शिक्षकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की थी। हालांकि शिक्षा विभाग ने उनकी उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया था। फिलहाल विभाग के पास अनुपस्थित शिक्षकों का कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है। ऐसे में जिलों को ही कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

ऊपर के बटन पर क्लिक करके पत्र डाउनलोड करे


लंबे समय से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षको का होगा तबादला।देखिए एक रिपोर्ट





शिक्षा विभाग पटना, सचिवालय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने नियोजन के पश्चात एक ही विद्यालय में 8 वर्षों से अधिक समय तक कार्यरत शिक्षकों का स्थानांतरण दूसरे विद्यालय में किया जाएगा। 




2002,03,05,और2006 में नियोजित सभी शिक्षकों के नियोजन की मानक तिथि 1.7.2006 ही है। अत: 2006 , 2008 और 2010 में नियोजित शिक्षकों का तबादला हो सकेगा।



फिलहाल टी ई टी वाले शिक्षक इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्हें इसका लाभ प्राप्त नहीं होगा। स्थानांतरण की यह प्रक्रिया पूर्णत: नियोजन इकाई के अन्तर्गत ही होगी।



पंचायत शिक्षकों का उसी पंचायत में तथा प्रखंड शिक्षकों का प्रखंड में किसी भी प्राथमिक और मध्य विद्यालय में तबादला हो सकेगा। 




प्राथमिक शिक्षा निदेशक के द्वारा नवंबर महीने में इस बाबत नोटिस जारी की जाएगी और स्थानांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

विभिन्न संघ के द्वारा स्थानांतरण की मांग एक लंबे समय से की जाती रही है। इसलिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण के लिए इसे जरूरी मानते हुए एक ही स्कूल में कई वर्षों से जमे शिक्षकों के स्थानांतरण को अमली जामा पहनाने का निर्णय किया गया है।


सोमवार, 26 अगस्त 2019

जनिए 5 सितंबर को लेकर संघ ने क्या रणनिती की है तैयार।




5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन बिहार के साढे चार लाख शिक्षक गांधी मैदान पटना में बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर पुराने शिक्षकों की तरह समान काम के लिए समान वेतन सामान सेवा शर्त एवं  पुराने शिक्षकों की तरह सारी सुविधाएं सहित अपने सात सूत्री मांगों के समर्थन में मुंह पर काली पट्टी बांधकर महाधरना  सह  वेदना  प्रदर्शन करेंगे।




उस दिन शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा होने वाले सभी सरकारी समारोहों का शिक्षक बहिष्कार करेंगे तथा उस दिन बिहार के सभी प्राथमिक मध्य माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक दिवसीय हड़ताल होगा सारे विद्यालय बंद होंगे मिड डे मील भी नहीं बनाया जाएगा



उपर्युक्त संदर्भ में आज बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्य कार्यसमिति की बैठक संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक  श्री ब्रजनंदन शर्मा  की अध्यक्षता में भुनेश्वर शिक्षक सेवा सदन में हुई बैठक को संबोधित करते हुए श्री शर्मा ने बिहार के सभी शिक्षकों को उस दिन 1 दिन के हड़ताल पर रहने का आह्वान किया तथा सभी स्कूलों को पूरी तरह बंद करने मिड डे मील बंद करके गांधी मैदान में आयोजित धरना कार्यक्रम में उपस्थित होने की अपील की है।


बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि उस दिन सरकारी समारोह में सम्मानित होने वाले सभी शिक्षक सरकारी समारोह में नहीं जाए उनको संघर्ष समिति द्वारा गांधी मैदान में आने का अनुरोध किया गया है वह गांधी मैदान में आए उन सभी शिक्षकों को बिहार के 450000 शिक्षकों की ओर से सम्मानित किया जाएगा।



बैठक में मुख्य रूप से बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ  के वरीय उपाध्यक्ष श्री राम अवतार पांडे कार्यालय सचिव सह मीडिया प्रभारी श्री मनोज कुमार पटना जिला संयोजक श्री प्रेमचंद बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ गोप गुट के अध्यक्ष श्री बच्चु कुमार बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री पंकज कुमार सिंह बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव श्री राकेश कुमार बिहार माध्यमिक शिक्षक संघर्ष समिति के श्री उपेंद्र राय एवं श्री नवीन कुमार नवीन शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जसवंत कुमार टीईटी एस टी ई टी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के भजन धारी शर्मा टी ई टी प्रारंभिक शिक्षक संघ के आलोक रंजन परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव आनंद मिश्रा बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल के श्री राम कुमार विद्यार्थी एवं श्री पंकज कुमार बिहार राज पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ केशव गुटके श्री रीतुराज सौरभ एवं श्री राम शेखर परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के मनोज कुमार सिंह परिवर्तनकारी माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षक संघ के अरुण कुमार बिहार उत्तर माध्यमिक शिक्षक संघ के शिव विलास एवं पवन कुमार प्रतापी तथा टीईटी संघ के रीतुराज विक्रमादित्य शिक्षा एवं शिक्षक विकास मंच के श्री नवनीत मिश्र एवं शिशिर पांडेय एवं शिक्षक न्याय मोर्चा के श्री शिवेंद्र पाठक ने प्रमुख रूप से आज की बैठक में हिस्सा लिया।