लंदन (एजेंसी)।
ज्यादातर भारतीय अपने बच्चों को टीचर बनाना चाहते हैं। यह जानकारी ब्रिटेन स्थित संस्था वर्की फाउंडेशन द्वारा किये गये ।अध्ययन ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स में (जीटीएसआइ) 2018 में दी गयी है। अध्ययन में दुनिया भर के 35 देशों में यह जानने की कोशिश की गयी है कि टीचर के बारे में लोगों की क्या राय है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें शामिल करीब 54 फीसद भारतीयों ने यह कहा कि वे अपने बच्चों को टीचर बनने के लिए प्रेरित करेंगे ।यह आंकड़ा सर्वे में शामिल सभी देशों में सबसे ज्यादा है। यहां तक की चीन के केवल 50 फीसद लोग ही शिक्षण को करियर के तौर पर देखते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के केवल 23 फीसद लोग ही चाहते हैं कि उनके बच्चे टीचर बनें जबकि रूस में यह आंकड़ बेहद कम 6 फीसद ही रह जाता है।
इंडेक्स में बताया गया है कि शिक्षकों के सम्मान और छात्रों के
प्रदर्शन के बीच सीधा संबंध है। ऐसा आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनामिक को ऑपरेशन एंडडेपलपमेंट्स प्रोगाम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एसेसमेंट से (पीसा) के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है।
भारतीय मूल के उद्यमी और वर्की फाउंडेशन के संस्थापक सनी वर्क ने कहा कि जब हमने पांच साल पहले जीटीएसआइ की शुरुआत की थी। तो हमें दुनिया भर के शिक्षकों की निम्न स्थिति के सुबूत मिले थे। इसी कारण हम ग्लोबल टीचर पुरस्कार शुरू करने
के लिए प्रेरित हुए।असाधारण कार्य करने वाले दुनिया भर के शिक्षकों को यह पुरस्कार दिया जाता है।
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि तीन चौथाई से अधिक करीब 77
फीसद भारतीय उत्तरदाताओं का मनना है कि छात्र अपने शिक्षको का आदर करते है।
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