बिहार के शिक्षा विभाग को केंद्र सरकार का तगड़ा झटका लगा है। केंद्र से प्रायोजित योजनाओं के लिए राज्य से 5 अरब 43 करोड़63 लाख 99 हजार रुपए का बजट प्रस्ताव भेजा गया था
जिसे नकारते हुए केंद्र सरकार द्वारा सिर्फ 1 अरब 91 करोड़
17 लाख 99 हजार रुपये का बजट मंजूर किया है।
यह स्थिति तब है जब पहली बार शिक्षा का दायरा बढ़ाकर
कक्षा एक से 12वीं तक की शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी गई।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और सर्व
शिक्षा अभियान (एसएसए) दोनों को मिलाकर समग्र शिक्षा अभियान नाम दिया गया लेकिन बजट में कटौती कर दी गई।
केंद्र ने शिक्षा बजट में 3.5 अरब की कटौती कर दिया है। साथ ही सिविल वक्र्स के लिए 1 अरब 13 करोड़ के बजट
का प्रस्ताव भेजा गया था। केंद्र ने सिविल वक्र्स में एक भी रुपया नहीं दिया है।
परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष में न तो विद्यालय का
भवन बनेगा और न ही वर्ग कक्षा या शौचालय।
एमडीएम बनाने के लिए किचन शेड का भी निर्माण नहीं
हो सकेगा।डीईओ मनोज कुमार ने बतया कि केंद्र ने इस बार बजट में 3.5 अरब रुपए की कटौती कर दिया है।
साथ ही नए भवन के निर्माण मद में भी एक रुपया नहीं
दिया गया है। जिससे भवन निर्माण में असुविधा होगी। शशि आने के बाद बजट के अझुरूप काम कराया जाएगया।
विभाग का कहना है शिक्षको के वेतन भुगतान पर 1 अरब 48 लाख 80 हाजर रुपए खर्च होते अब यैसे में कम बजट मिलने से इसका असर शिक्षको के वेतन पर भी पड़ेगा।
जिसे नकारते हुए केंद्र सरकार द्वारा सिर्फ 1 अरब 91 करोड़
17 लाख 99 हजार रुपये का बजट मंजूर किया है।
यह स्थिति तब है जब पहली बार शिक्षा का दायरा बढ़ाकर
कक्षा एक से 12वीं तक की शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी गई।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और सर्व
शिक्षा अभियान (एसएसए) दोनों को मिलाकर समग्र शिक्षा अभियान नाम दिया गया लेकिन बजट में कटौती कर दी गई।
केंद्र ने शिक्षा बजट में 3.5 अरब की कटौती कर दिया है। साथ ही सिविल वक्र्स के लिए 1 अरब 13 करोड़ के बजट
का प्रस्ताव भेजा गया था। केंद्र ने सिविल वक्र्स में एक भी रुपया नहीं दिया है।
परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष में न तो विद्यालय का
भवन बनेगा और न ही वर्ग कक्षा या शौचालय।
एमडीएम बनाने के लिए किचन शेड का भी निर्माण नहीं
हो सकेगा।डीईओ मनोज कुमार ने बतया कि केंद्र ने इस बार बजट में 3.5 अरब रुपए की कटौती कर दिया है।
साथ ही नए भवन के निर्माण मद में भी एक रुपया नहीं
दिया गया है। जिससे भवन निर्माण में असुविधा होगी। शशि आने के बाद बजट के अझुरूप काम कराया जाएगया।
विभाग का कहना है शिक्षको के वेतन भुगतान पर 1 अरब 48 लाख 80 हाजर रुपए खर्च होते अब यैसे में कम बजट मिलने से इसका असर शिक्षको के वेतन पर भी पड़ेगा।
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