नई दिल्ली सुप्रिमकोर्ट
बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई होगी।
सुनवाई को लेकर नियोजित शिक्षकों को शीर्ष अदालत से आस है कि शिक्षक दिवस पर उन्हें तोहफा मिलेगा।
मालूम हो कि बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की समान काम-समान वेतन की मांग पर राज्य सरकार अपना पक्ष रख चुकी है।
अब शिक्षक संगठनों के अधिवक्ता नियोजित शिक्षकों की पैरवी कर रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल भी अपना पक्ष रखेंगे।
आपको बता दे कि अटॉर्नी जनरल को अपना पक्ष पिछले सुनवाई में ही रखना था लेकिन सरकार कार्यो में ब्यस्त होने के कारण उन्होंने कोर्ट से समय मांगा और कोर्ट ने उन्हें 5 सितंबर के समय दिया था अपनी बात रखने के लिए।
जैसा कि आप सभी जानते है कि पिछली सुनवाई में शिक्षक संघ की वकील ने दलील पेश करते हुए कहा है कि जो शिक्षक टीईटी या एसटीईटी पास हैं, उन्हें तो हर हाल में वेतनमान मिलना ही चाहिए. ऐसे शिक्षकों को वेतनमान देने में सरकार को किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए।
वकीलों का कहना था कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद एसटीईटी और टीईटी पास शिक्षकों की बहाली की गयी थी।ऐसे में इन्हें समान काम के लिए समान वेतन देना हर हाल में अनिवार्य है।
वकीलों ने कहा की जहां तक बिना टीईटी या एसटीईटी पास शिक्षकों का सवाल है, तो इन्हें भी समान काम के बदले समान वेतन का लाभ मिलना चाहिए. बशर्ते इन्हें एरियर का लाभ देने से पहले टीईटी या एसटीईटी की परीक्षा से गुजरना अनिवार्य कर दिया जाए।
आपको बता दे की एनसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर संतोष पांडा ने बताया कि 2010 से पहले नियुक्त शिक्षामित्रों को सेवारत माना जाएगा तथा उन्हें टीईटी पास करने की आवश्यकता नहीं है।टीईटी उस अवधि के वाद नियुक्त होने वाले नए शिक्षकों के लिए ही अनिवार्य है।
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