मंगलवार, 25 सितंबर 2018

बेमतलब रही आज की सुनवाई।जानिए क्या क्या बाते हुई कोर्ट में




आज समान काम समान वेतन की सुनवाई 11:40 मिनट पर शुरू हुई थी।कोर्ट नंबर 11 में सुनवाई शुरू की गई थी।आपको बता दे कि कोर्ट में सरकार की तरफ से आज फिर अटर्नी ने अपनी बातों को रखना शुरू किया।

अटर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि सहायक अभियंता और कनीय अभियंता के वेतन अलग-अलग हो सकता है तो फिर नियमित और नियोजित शिक्षकों के वेतन में अंतर स्वाभाविक है।

अटार्नि जनरल ने अपनी पुरानी बाते दोहराते हुए कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार वेतन बढा नही सकती वह अपने हिस्से  कि राशि राज्य को देती है पूर्ण  वेतनमान राज्य  का मसला है।
जज साहब ने अटर्नी जनरल से पुरानी बातों को दोहराने से मना किया उनको अपनी बात समाप्त करने और नई बात बोलने के लिए कहा लेकिन AG बहस समाप्त करने से इंकार करते हुए कहा कि अभी बहुत बात बाकी है।

अटर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि हमने अपने आर्गुमेंट में पहले ही बता दिया है कि बिहार सरकार नियोजित शिक्षको को दूसरे राज्यो से ज्यादा पैसा देती है अब इसमें मैं कुछ नहीं बोल सकता राज्य सरकार अपना समझे।

अटर्नी जनरल ने कहा कि बिहार सरकार को जो करना है वो करे लेकिन भारत सरकार अपने हिस्से से 1 रुपया ज्यादा नहीं देगी।

लंच के बाद भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेट्री मनीष गर्ग से ललित साहब ने पूछा की जो आपने 49 पेज का सबमिशन दिया है उसमें आर टी ई के अनुसार राशि देने हेतु आपका क्या दायित्व बनता है ? मनीष गर्ग ने जबाब देने के लिए कल का  मांगा है।


Ag साहब से कोर्ट ने पूछा कि आप 8 सालो में भी शिक्षा का अधिकार अधिनियम नही लगा पाए क्यो? इसका Ag साहब के पास कोई जवाब नहीं था।

अटर्नी साहब के बोलने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल साहब, अटार्नी जनरल  द्वारा समान काम समान वेतन के विरोध में दिये दलीलों को साक्ष्य सहित विन्दुबार करारा जबाब दिया। सिबल साहब के बाद सी ए सुंदरम साहब ने अपनी बात को रखा उसके बाद दिनेश द्विवेदी जी ने कोर्ट में अपनी बात को रखा।

अंत मे कोर्ट ने कहा कि आज आप लोग सब बात पुरा कर ले कल दिवान  जी को सूनने के बाद बहस समाप्त किया जयेगा।

और इसी के साथ कोर्ट केस की अगली सुनवाई 26 सितंबर घोषित कर दी।



आज की सुनवाई बेमतलब साबित हुई। यहाँ केंद्र सरकार केस को लटकाना चाहती है।










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