शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

सरकार ने ले लिया शिक्षक की जान

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सिकटी प्रखंड के टेंगापुर पंचायत के प्राथमिक विद्यालय सतबेर के प्रभारी प्रधानाध्यापक भूपेश कुमार के असामयिक निधन की खबर ने शिक्षा प्रेमी व शिक्षकों को स्तब्ध कर दिया है।

मृतक के पत्नी नीलम देवी ने विभाग पर यह आरोप लगाया है कि अगर उनके चार माह के लंबित वेतन का भुगतान हो गया होता, तो आज उनके पति जिंदा होते।उन्होंने कहा कि रुपयेके परेशानी के कारण ही वे अपने पति का समुचित इलाज नहीं करा पाये।



उन्होंने कहा कि वेतन के रूप में जो भी मिलता है वह भी समय पर नहीं मिलता है. ऐसे में शिक्षक के परिवार का परवरिश कैसे होगा, कह कर रो-रो कर उनका बुरा हाल हो गया।

परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार भूपेश कुमार ने विद्यालय में बच्चे के माध्यम के से गुरुवार लिए आवेदन को आकस्मिक भेज कर अवकाश बेहतर इलाज कराने के लिए बाहर जाने की बात कही थी।



वे करीब तीन दिनों से अपने आप को अस्वस्थ महसूस कर
रहे थे।जैसे तैसे रुपये का बंदोबस्त कर वे गुरुवार को बाहर जाने वाले थे। इस बीच अचानक सुबह आठ बजे उनकी तबीयत बिगड़ गयी.

वे बेहोश हो गये. इसी स्थिति में परिजनों द्वारा उनको पीएचसी सिकटी ले जाया गया जहाँ जांच के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।


 वेतन के आभाव में शिक्षकों की जान चली जाना यह बिहार में कोई नई बात नहीं है लेकिन बिहार सरकार इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है सरकार को शिक्षा में गुणवत्ता तो चाहिए लेकिन शिक्षकों के प्रति क्या दायित्व है इसको सरकार समझना नहीं चाहती है शिक्षक संघों को एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ना होगा और वेतन के आभाव में फिर किसी शिक्षक की जान ना जाए इसके लिए सोचना होगा।




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