जैसा कि आप सभी जानते है कि 23 अगस्त की सुनवाई अब समाप्त हो चुकी है।
आज सुबह 11:31 मिनट पर नियोजित शिक्षकों के केश की सुनवाई प्रारंभ हुई ।
शिक्षको की तरफ से आज सबसे पहले विजय हंसरिया जो बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के वकील है उन्होंने बहस की शुरुवात की।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि समान काम समान वेतन नहीं लागू कर बिहार सरकार संविधान के अनुच्छेद 21(A) तथा RTE के धारा 7 , 8 एवं 23 का उल्लंघन कर रही है।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति तथा नियोजन हेतु समान योग्यता निर्धारित है। योग्यता समान, स्कूल समान, कक्षा समान, शिक्षण घंटे समान, तो फिर वेतन समान क्यों नहीं?
उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बिहार में समानता का मौलिक अधिकार लागू करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट समान काम समान वेतन की व्यवस्था बहाल करायें।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्तें तथा अनुशासनिक कार्यवाई की समस्त प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा ही अधिनियमित की जाती है। इस आधार पर नियोजित शिक्षक नहीं बल्कि राज्यकर्मी है।
आपको बता दे कि विजय जी के 30 मिनट बहस करने के बाद प्राप्त माध्यमिक संघ के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने अपनी बहस की शुरूआत की।
बहस के दौरान जज साहब ने कोर्ट रूम में सभी अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे एक ही बात को बार बार न दोहराए।
कोर्ट ने कहा कि 21 अगस्त की सुनवाई में सिब्बल साहब ने बहुत सारी बातों को साफ कर दिया है इसलिए आज कम समय मे सभी अधिवक्ता अपनी बात रखे।
लंच के बाद समान काम समान वेतन के मामले में फिर दुबारा सुनवाई शुरू हुई।
सर्विस मैटर एवं शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया साहब बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से चार लाख नियोजित शिक्षकों का पक्ष रखना शरू किया था।
हंसरिया के द्वारा रखे जा रहे साक्ष्यों को माननीय जज साहब गंभीरता से देख व पढ रहे हैं।
माननीय विजय हंसरिया के द्वारा रखे गये तथ्यों को एवं साक्ष्यों को देखकर माननीय न्यायाधीश यू यू ललित ने कहा अब TET कोई मुद्दा नहीं रह गया है।
आपको बता दे कि विजय हंसरिया जी के बहस खत्म करने के बाद सलमान खुर्शीद बहस करना शुरू किए।
खुर्शीद साहब ने कोर्ट को बताया कि पुराने शिक्षकों से ज्यादा काम करते हैं नियोजित शिक्षक क्योंकि पुराने शिक्षकों को मातृत्व अवकाश ,अध्ययन अवकाश, अर्जिता अवकाश सब कुछ नियोजित शिक्षकों से अधिक मिलता है।
खुर्शीद जी ने कोर्ट से कहा कि बिहार के सभी शिक्षक हर मानक को पुरा करते हैं, सिर्फ शोषण के लिए बांट रखा विभिन्न कोटियों में।
खुर्शीद साहब ने कोर्ट को बताया कि बीमारी के इलाज करने के लिए शिक्षकों के पास पैसे नहीं कइयों की मौत दवा के अभाव में हो गईं।
खुर्शीद साहब के एक-एक लाइन को जस्टिस यूयू ललित साहब अपनी डायरी में नोट कर रहे थे पूरा कोर्ट रूम सांसे बंद कर खुर्शीद साहब की बातें सुन रहा था।
मखीजा जी खड़ा होते ही बोली मैं उनका प्रतिनिधित्व कर रही हूं जो आरटीई एनसीटीई टीईटी सहित शिक्षक होने के सभी मापदंडों को पूरा करते हैं।
मखीजा जी की बातों को सुनने के बाद ललित साहब ने कहा की RTE or Ncte के मानक को पुरा करने वाले शिक्षकों का आरटीई एक्ट लागू होने के बाद नियोजन कैसे ?
जज साहब ने कहा कि टेट पास का नियोजन कैसे बिहार सरकार कर दी, इन सब का तो नियुक्ति सहायक शिक्षक के रूप में होना चाहिए था।
माननीय जज महोदय ने कहा कि मैं बहुत बड़ा फैसला करूंगा जिससे शिक्षक को भविष्य में कोर्ट में उपस्थित ना होना पड़े।
और इसी के साथ कोर्ट की सुनवाई समाप्त हुई और जज साहब ने अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त घोषित कर दिया।
Jhirhidhj
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