आज 21 अगस्त को कोर्ट की सुवाई 11:15 पर शरू हुई और समान काम समान वेतन की सुनवाई 11:46 मिनट पर शरू की गई।
शिक्षको की तरफ से केश के बहस की शुरुवात सी ए सुंदरम साहब ने की।,
आपको बता दे कि आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से एक भी अधिवक्ता कोर्ट रूम में मौजूद नहीं था। कपिल सिब्बल ने उनकी दलीलो एक सिरे से पहले ही ख़ारिज करा चुके है।
सुंदरम जी ने कोर्ट को बताया कि 25.08.2010 के पुर्व नियोजित किसी भी शिक्षक को TET परीक्षा उर्त्तीण होने की आवश्यकता नहीं है, उन्होंने पटना हाईकोर्ट का जजमेंट जिसमें बिहार सरकार ने एनसीटीई द्वारा उपलब्ध कराएं गए पत्र दिनांक 26.10.2015 को हलफनामे के रूप में कोर्ट को समर्पित किया है।
सुंदरम साहब की बातों से यू यू ललित जज साहब संतुष्ट नजर आ रहे हैं ।
सुंदरम जी ने कोर्ट को कहा कि जब बिहार सरकार पाँच लाख संविदा कर्मचारियों को समान काम समान वेतन दे सकती है तो नियोजित शिक्षकों को क्यों नहीं दे सकती।
कोर्ट में जोरदार बहस करते हुए सुंदरम जी ने कहा कि समान काम समान वेतन के हकदार बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक हैं ।
आपको बता दे कि 16 अगस्त की सुनवाई में सिब्बल जी के द्वारा दक्षता व पात्रता विषयों को सही तरह से व्याख्या न करने की वजह से जो आशंका उत्पन्न हुई थी उसको आज सी ए सुंदरम जी ने प्रामाणिक तरीके से बहस करते हुए जज साहब को समझाने में सफल रहे।
उन्होंने बताया की 2003 से 2016 तक बहाल शिक्षकों में कोई असमानता नही है।सभी पर एक साथ समान कार्य का समान वेतन लागू होगा।
उन्होंने कोर्ट को कहा कि यह मायने नहीं रखता है कि शिक्षको कि बहाली कब और किसके द्वारा की गई है। जब कार्य प्रकृति समान है और NCTE के नियम को जब सब शिक्षक पूरा कर रहें हैं तो समान काम समान वेतन इन शिक्षको का संवैधानिक अधिकार बनता है और इसे सरकार हर हाल में देना होगा।
सी ए सुन्दरम् ने माननीय न्यायाधीश से अपील किया की वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल साहब ने सरकारी वकीलों के सभी दलीलों को साक्ष्य को झुठा एवं गलत साबित किया है। इस आधार पर आज ही सरकार के SLP को खारिज किया जाए।
आपको बता दे कि आज अगर सरकार की SLP खारिज हो जाती तो निश्चय ही जीत नियोजित शिक्षको के हक में होती लेकिन कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त कर दी और इसी के साथ बहस की समाप्ति हुई।
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