आज की सुनवाई से अब स्पष्ट हो रहा है की बिहार सरकार और केंद्र सरकार के वकील जानबूझ कर केवल समय को खींच रहा है।
आज पुनः कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के वेतन भत्ते आदि पर चर्चा हो रही थी सरकार का कहना था कि हमने 1500 रुपए पर बहाल किया था।
2015 में हम लोगों ने इन्हें वेतनमान दिया तब इनका वेतन 17000 हुआ मतलब कि 6 साल में 10 गुना और 2015 के बाद 17000 से 2018 आते-आते आज इनकी सैलरी 26000 हो चुकी है ।
सरकार का कहना है कि इनके सैलरी 10 गुना का इजाफा है और अगले 5 सालों में इनका वेतन 40000 के आसपास हो जाएगा अतः इन्हें समान काम समान वेतन की देने की जरूरत नहीं है।
उसके बाद पुनः डाईंग कैडर पर चर्चा हुई तो हमारे वकील श्री सलमान खुर्शीद ने कस्तूरबा गांधी विद्यालय में हुई बहाली का पत्र दिखाया। जिस पर जज ने सरकार के वकील एवं प्रधान सचिव शिक्षा विभाग से पूछा कि जब आप कह रहे हैं कि डाईंग कैडर हो गया तब आप बहाली कैसे कर रहे हैं तो प्रधान सचिव निरुत्तर हो गए और कोर्ट से कहा कि मैं विभाग से पूछ कर बताउँगा।
जस्टिस यूयू ललित ने अभी बिहार सरकार के वकील को बताया कि जब आप किसी को 5 साल काम करा लेंगे उसके बाद उसका क्या करेंगे क्योंकि 5 साल काम करने के बाद कोई भी आदमी कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं रहता है वह परमानेंट हो जाता है।
शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 23 की उप धारा 3 में भारत सरकार ने लिखा है कि शिक्षकों को वेतनमान, भत्ते, पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि इत्यादि सभी लाभ एक बराबर शैक्षणिक योग्यता, कार्य एवं अनुभव के आधार पर एक बराबर दिए जाएंगे।
आपको बता दे कि इन्हीं सभी बातों के साथ कोर्ट की आज की सुनवाई समाप्त हुई और 7 अगस्त को सुनवाई करने की तिथि घोषित हुई।
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