कपिल सिब्बल से बात करने पर उन्होंने बताया कि
सरकारी वकील ने कहा है कि नियोजित शिक्षक पंचायत के दायरे में आते है।
●इस पर जज ने पुछा की पंचायत के विद्यालय को किस
नाम से जाना जाता है और उसमे कौन पढाता है,उसका वेतन कौन देता है?
इस सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं था।
●प्रभार देने के विषय मे जज ने पूछा कि जब नियोजित
शिक्षक सरकार के अंश नही है तो इन्हे विद्यालय का समुचित
प्रभार क्यों दिया गया है?
इस पर सरकारी वकील के पास कोई जवाब नहीं था।
●जज ने पुछा नियमित शिक्षक प्रभारी एवंम नियोजित शिक्षक प्रभारी का वेतन क्या है?
इस पर शिक्षा सचिव ने बताया कि नियमित को 55000 से 70000 और नियोजित शिक्षक को 15000से 25000 तक दिया जाता है।इस पर जज ने फटकार लगाते हुए कहा की इस तरह की दोहरी निति क्यो आपने सरकार से बात कीजिए आपको सामान काम सामान काम देना ही होगा।
●जज ने कहा कि जब ये नियोजित शिक्षक सरकार के अंश नही है तो फिर इन्हें स्केल (5,200-20200) क्यो दिया जाता है और कौन देता है ?
सरकारी वकील के पास कोई जवाब नहीं।
●नियोजित शिक्षको को प्रशिक्षण कौन देता है और इस मे होनेवाले खर्च कौन वहन करता है।
सरकारी वकील इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।
●जज ने कहा नियोजित शिक्षको से शिक्षको की परीक्षा क्यों लिया गया औऱ उनकी परीक्षा हुई है तो पूर्ण वेतन देने मे
क्या परेशानी है?
सरकारी वकील के पास इन सभी बातों का कोई जवाब नहीं था।
आपको बता दे कि कोर्ट में बहुत सारी इस तरह की बाते हुई जो नियोजित शिक्षकों के लिए एक सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करता है।
इन सारी तथ्यो के आधार पर हमारी जीत फक्की
है बहस लगतार जारी रखते हुए
जैसा कि आप सभी जाते है कि पुनः 2 अगस्त को 10:30बजे
से बहस शुरु होगी । सरकार के वकील का कोई दवाब जज पर नहीं बन पाया जो शिक्षको के लिए अच्छी खबर है।
दुवा है कि कल की सुबह एक नई रोशनी सभी के जिंदगी में लाए।
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