माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यों के अनुश्रवण हेतु सभी जिला स्तरीय पदाधिकारियों को दिनांक 01.09.2018 को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों का औचक निरीक्षण कराये जाने का निर्णय लिया गया है।
निरीक्षी पदाधिकारी संलग्न सूची के अनुरूप माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण करना सुनिश्चित करेंगे।
विद्यालय का निरीक्षण हेतु विद्यालय खुलने के 15 मिनट पहले पहुचेंगे और प्रार्थना सत्र में शामिल होकर शिक्षको के आने का समय नोट करेंगे।
विद्यालय में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं की वर्गवार उपरिथति
को नोट करेंगे ।
मुख्यमंत्री साइकिल/पोशाक योजना अन्तर्गत छात्र/छात्राओं को दी गयी राशि के उपयोग की समीक्षा करेंगे।
पदाधिकारी साइकिल/पोशाक मद में दी गई राशि की उपयोग की समीक्षा करेंगे, यथा जिन छात्र/छात्रा को साइकिल की राशि दी गई है उसके अनुरूप साइकिल का क्रय किया गया है या नहीं
इसकी जांच करेंगे।
निरीक्षी पदाधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए प्रयोगशाला उपकरण एवं उपस्कर का क्रय हुआ है या नहीं।
जांच के बाद पदाधिकारी जांच की सूचना शिक्षा निदेशक को भेजेंगे।
बिहार टीईटी 2011 में किस तरीके से फर्जीवाड़ा हुआ था. फर्जीवाड़ा में कौन—कौन लोग शामिल थे. गलत तरीके से फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करवाने के पीछे बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के कौन—कौन से अधिकारी और स्टाफ मदद कर रहे थे. ये सब कुछ अब साफ हो गया है. दरअसल, इस मामले में पटना पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली है. फर्जीवाड़ा के इस खेल में शामिल विजय कुमार तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसेे कोतवाली थाना की पुलिस ने पकड़ा है. पकड़े जाने के बाद हुए पूछताछ में विजय ने बिहार टीईटी 2011 में हुए फर्जीवाड़ा का सारा राज उगल दिया है. आपको बता दें कि विजय कुमार तिवारी फर्जीवाड़ा के इस खेल का सबसे बड़ा बिचौलिया है. इसका पकड़ा जाना पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण था.
इन लोगों ने की थी मदद बिहार टीईटी 2011 की परीक्षा फेल करने वाले कैंडिडेट्स को विजय कुमार ने रुपए के बल पर पास करवा दिया था. एसएसपी मनु महाराज के अनुसार सर्वर और कप्यूटर से छेड़छाड़ कर फेल हुए कैंडिडेट्स के नकली सर्टिफिकेट बनाए गए थे. इस काम में विजय की मदद बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के स्टाफ अरविंद कुमार, अमित कुमार, अमितेश कुमार, जटा शंकर मिश्र, रंजीत मिश्रा, माइकल फ्रांसिस और अरूण कुमार ने मदद की थी. कमाए 20 लाख से अधिक फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर एग्जाम फेल करने के बाद भी कई ऐसे कैंडिडेट्स हैं, जो टीचर की सरकारी नौकरी कर रहे हैं. ये खेल ऐसे ही नहीं खेला गया है. इस पूरे खेल में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ अकेले विजय कुमार तिवारी ने 20 लाख रुपए कमाए थे. पुलिस की पूछताछ में इस बात की उसने खुद पुष्टि की है. अब तक ये लोग जा चुके हैं जेल बिचौलिया विजय कुमार तिवारी से पहले इस मामले में पटना पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जिसमें बोर्ड के स्टाफ और फर्जी सर्टीफिकेट पर टीचर की नौकरी कर रही महिलाएं थीं. इनमें बोर्ड के प्रभारी अभिलेखागार जटा शंकर मिश्र, कंप्यूटर के सेल के सहायक प्रभारी अमितेश कुमार, अमित कुमार, सुजीत कुमार, राजेश रंजन उर्फ राजा, अरूण कुमार, पूजा भारती, सुमन कुमारी, श्वेता कुमारी और मंजू कुमारी शामिल हैं.
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों किये जा रहे निरीक्षण की प्रक्रिया पर कड़ा एतराज जताया है।
संगठन के अध्यक्ष व विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय एवं महासचिव व सांसद शत्रुधन प्रसाद सिंह ने कहा है कि निरीक्षण का कार्य तो स्वागत योग्य है लेकिन विद्यालयों के निरीक्षण का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करना होना चाहिए
लेकिन पदाधिकारी केवल शिक्षकों की उपस्थिति और साइकिल-पोशाक योजना की समीक्षा को ही निरीक्षण का उद्देश्य मान बैठे हैं।
यदि कोई विद्यालय बेहतर कर रहा है तो उसके लिए पुरस्कार की भी व्यवस्था होनी चाहिए ।
सरकार शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने के उच्च न्यायालय के न्याय निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा कर अनाप-शनाप व्यय कर रही है। आठ माह से उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं हुआ है।
जिससे वे आर्थिक रूप से इतने परेशान हैं कि बीमार माता-पिताबेटा-बीटी का इलाज नहीं करा पार रहे हैं, किंतु यह सरकारी की चिंता में शामिल नहीं हैं।
पटना राज्य में 452 प्राइमरी-मिडिल स्कूलों पर बुधवार को फिर इंस्पेक्शन की गाज गिरी इन सभी स्कूलों में एक-एक अफसर इंस्पेक्शन के लिए प्रार्थना की घंटी बजने के पंद्रह मिनट पहले ही पहुंच चुके थे। इंस्पेक्शन पर पहुंचे सभी 452 अफसर छुट्टी की घंटी बजने के बाद ही स्कूलों से बाहर निकले दिन भर चले इंस्पेक्शन के बाद शाम से ही शिक्षा विभाग केई-मेल पर इंस्पेक्शन रिपोर्ट आने शुरू हो गये थे।
आपको बता दे कि इंस्पेक्शन रिपोर्ट में कई मामले उजागर हुए हैं मसलन जितने बच्चे नामांकित हैं, उससे काफी कम स्कूल आ रहे हैं । शिक्षक बिना सूचना के ड्यूटी गायब पाये गये हैं।ऐसे भी शिक्षक हैं, जो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं । हालांकि, शिक्षा विभाग के संबंधित आधिकारियों ने बताया कि इंस्पेक्शन रिपोर्ट आ ही रहे है । उसके बाद उसे कम्पायल कर बताया जाएगा। इंस्पेक्शन के दायरे में आये सभी 452 प्राइमरी और मिडिल स्कूल राज्य के सभी 38 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के हैं ।स्कूलों का इंस्पेक्शन करने वाले अधिकारियों में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) स्तर तक के अधिकारी शामिल थे । स्कूलों में प्रार्थना की घंटी से पंद्रह मिनट पहले ही पहुंचे अफसरों ने शिक्षकों के आने का समय नोट किया।
सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों का अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन तीन अक्टूबरसे होगा। मूल्यांकन सात दिनों तक चलेगा। परिणाम पांच नवंबर को प्रस्तावित हैं। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने जिलों को परीक्षा कैलेंडर जारी कर दिया है।
परियोजना निदेशक संजय सिंह के मुताबिक लिखित मूल्यांकन कक्षा दो से आठ के विद्यार्थियों का ही होगा। कक्षा एक के बच्चों का मौखिक मूल्यांकन लिया जाएगा जिलों को पांच सेट प्रश्न पत्र मुहैया कराए जाएंगे जिसमें से किसी एक का उपयोग स्कूल मूल्यांकन के लिए कर सकेंगे।
प्रखंड कार्यालयों को प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका 20 सितंबर तक भेज दिए जाएंगे। निर्देश दिए गए हैं कि प्रखंड और जिला कार्यालय आकलन कर मुख्यालय को पहले ही बता दें कि उन्हें कितने प्रश्न और उत्तर पुस्तिका की दरकार होगी।
मूल्यांकन दो पाली में होगा। पहली पाली 10 से 12 बजे तक चलेगी जबकि दूसरी पाली 1 से 3 बजे के बीच होगी। जिला और प्रखंड कार्यालय स्कूलों को हर हाल में 26-30 सितंबर के बीच प्रश्न और उत्तर पुस्तिका मुहैया कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।
अधिकारियों से कहा गया। हैकिपरीक्षा को देखते हुए प्रत्येक जिले में 25 सितंबर तक नियंत्रण कक्ष बना लिया जाए।
जैसा कि आप सभी जानते है 11:56 मिनट पर आज समान काम समान वेतन की सुनवाई प्रारम्भ हुई।
कोर्ट में बहस की शुरुवात चिदंबरम साहब ने की। चिदम्बरम साहब ने कोर्ट में आर्टिकल 21(ए) पर काफी देर तक बहस की और उसके बाद बैठ गए।
चिदंबरम जी के बाद सिंधवी जी ने अपने बहस की शरुवात की।
सिंधवी जी ने कोर्ट को बताया कि नियमावली की कंडिका 14 नियोजित शिक्षकों को सेवा पुस्तिका संधारण का अधिकार देता है। किसकी सेवा पुस्तिका खोली जाती है यह कहने का कोई मतलब नही है।
उन्होंने ने कोर्ट को बताया कि सेवा पुस्तिका का संधारण कोई अन्य नही बल्कि प्रखंड स्तर पर BEO जो कि राज्य सरकार का ही कर्मी है और पंचायत स्तर पर पंचायत सचिव वह भी राज्य सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कर्मी है उन्ही को करना है।
सिंधवी जी ने कोर्ट को माध्यमिक शिक्षक के आर्थिक आकड़ो व योग्यताओ के बारे में बताया साथ ही राज्य स्तर की बहाली की के बारे में भी बताया।
सिंघवी ने अपने बहस मैं TeT से संबंधित सभी बातों को क्लियर कर दिया और जज भी संतुष्ट हुए की प्राइमरी या सेकंडरी में TeT कोई बाध्यता नहीं है।
सिंधवी जी ने कोर्ट को बताया कि मै जिनका प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ ओ 9वी वर्ग से 12 वी वर्ग तक के शिक्षक और पुस्तकल्याध्यक्ष है उनकी कुल संख्या मात्र 33 हजार 529 है जो राज्य सरकार अपने आँकड़ो में भी दिखाती है उनको समान काम समान वेतन मिलना ही चाहिए।
सिंघवी साहब ने अपने बहस के दौरान पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत कर साबित कर दिया कि 2012 से पूर्व नियोजित शिक्षकों के लिए टेट पास होना अनिवार्य नहीं है, जज महोदय के समक्ष रखी मामले से संबंधित तथ्यात्मक दस्तावेज से संतुष्ट दिखे जज साहब।
सिंधवी जी ने बहस के दौरान कोर्ट से आग्रह किया कि बिहार सरकार के slp को यथाशीघ्र खारिज कर नियोजितो के अधिकार को सुरक्षित करे।
आपको बता दें कि आज का बहस माध्यमिक शिक्षकों पर आकर केंद्रित हो गया सिंधवी जी के बाद कोर्ट में बैधनाथ जी और रंजीत जी बहस किए ।रंजीत जी की बहस आज पूरी नहीं हो सकी औऱ कोर्ट का समय समाप्त हो गया। कोर्ट ने 30 तारीख की तिथि सुनवाई की घोषित कर दी अब 30 तारीख को रंजीत जी फिर से अपनी बहस को कंटिन्यू करेंगे।
विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यों के अनुश्रवण हेतु सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला स्तरीय पदाधिकारियों को दिनांक 29.082018 को अपने प्रखंड अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित विद्यालयों का औचक निरीक्षण कराये जाने का निर्णय लिया गया है।
आपको बता दे कि विद्यालयों के निरीक्षण के समय पदाधिकारी
निम्नवत् बिन्दुओं का पर ध्यान देंगे।
पदाधिकारी विद्यालय के निरीक्षण हेतु विद्यालय खुलने के 15 मिनट पहले पहुचेंगे ताकि प्रार्थना सत्र में निरीक्षी पदाधिकारी शिक्षकों के आने का समय नोट कर सके।
प्रार्थना सत्र के बाद विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं की वर्गवार उपस्थिति को नोट करेंगे।
विद्यालयों में मध्याहन भोजन योजना के तहत भोजन बनाने की तैयारियों एवं उसकी साफ-सफाई आदि के संबंध में की जा रही कार्यकलापों की जॉच करेंगे ।
इसके साथ ही मध्याह्न भोजन का समय समाप्त होने तक उसी विद्यालय में रहते हुए सभी कक्षाओं में बराबर-बराबर समयान्तराल के लिए बैठते हुए शिक्षकों के द्वारा पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रमों कार्यशैली तौर-तरीकों एवं बच्चों के बीच उक्त अवधि में की जा रही गतिविधियों को नोट करेंगे।
उपरोक्त सभी बातों के अलावा अगर पदाधिकारी को कोई निर्देश देने की आवश्यकता पड़ती है तो विद्यालय के संबंधित प्रभारी शिक्षक/प्रधानाध्यापक को देंगे।
मध्याह्न भोजन समाप्ति के पश्चात् बिहार शिक्षा परियोजना स्तर से विद्यालयों के निरीक्षण हेतु विकसित किए गए "BEST APP से निरीक्षण की प्रविष्टि सुनिश्चित करेंगे।
निरीक्षी पदाधिकारि उसी विद्यालय में बने रहते हुए सभी कक्षाओं में बैठते हुए शैक्षणिक कार्य को observe करेंगे।
अन्त में निरीक्षी पदाधिकारी मध्याह्न भोजन कीगुणवत्ता की जॉच करते हुए निरीक्षण तिथि29/08/2018 को ही संलग्न विहित प्रपत्र में वांछित सूचनाएं अंकित करते हुए संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेज देंगे।
जिला शिक्षा पदाधिकारी दो दिनों के अंदर सभी निरीक्षी पदाधिकारी से उनके विद्यालय का विस्तृत प्रतिवेदन निरीक्षण प्रतिवेदन प्राप्त कर एक-एक प्रति निदेशालय को भी भेजेंगे।
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आज सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों की ओर से विभा मखीजा ने
अपना बहस करना शुरू किया।
TET/STET शिक्षक का पक्ष रख रही सर्वोच्च न्यायालय की वकील विभा मखीजा ने बिहार सरकार की दलील- आर्थिक तंगी व अक्षमता को सिरे से खारिज किया और सबूतों व तथ्यों से माननीय न्यायालय को बताया कि कैसे सरकार झूठ बोल रही है।
राज्य सरकार को पैसे की कोई कमी नहीं है ,यह सरकार वोट बैंक पालिसी के तहत सरकारी पैसा निर्रथक कामों में बर्बाद कर देती है ।
मखीजा ने बताया कि जब तक शिक्षक खुद के वर्तमान व भविष्य के प्रति निश्चिन्त नहीं होंगे तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना कैसे की जा सकती है ।
कोर्ट में मखीजा जी ने प्राइमरी और सेकेंडरी के बजट का आकड़ा पेश किया और बताया कि किस प्रकार दोनो का पैसा राज्य सरकार वापस कर रही है।
विभा मखीजा ने कहा कि नियुक्ति से पूर्व सारी योग्यता को पूर्ण करने वाले शिक्षक है वेतनमान के पहले हकदार। पूर्व नियोजितों को भी वेतनमान देने में आपत्ति नहीं लेकिन एरियर देने से पूर्व उनसे TET ले सकती है सरकार,और यही बात शिक्षको को परेशान करने लगी।
विभा मखीजा ने कोर्ट से कहा कि जब TET शिक्षकों की योग्यता मानकों के अनुरूप है तो इन्हें रेगुलर कैडर में बहाल करना चाहिए था सरकार को।
विभा मखीजा ने कोर्ट को उत्तर प्रदेश सरकार के सर्कुलर को कोर्ट के सामने पेश किया।
विभा मखीजा ने कोर्ट को बताया कि 2011 में टीईटी की परीक्षा बहुत कठिन हुई थी और मात्र 2.5% लोग ही पास हुए थे। और आर्गुमेंट के तौर पर उस समय छपी अखबार की प्रति कोर्ट को सौपी।
कोर्ट में उनसे सातवें वेतनमान में नियोजित शिक्षकों के वेतन और रेगुलर स्केल में अंतर भी पूछा गया, विभा मैडम सभी तथ्यों को चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया।
NCTE की पर जब चर्चा हुई तो मखीजा जी ही फंस गई। माननीय जज यू यू ललित ने NCTE के प्रावधान में सिर्फ प्रशिक्षित के ही TET लेने के संबंध में पूछा तो मखीजा ने बताया सरकार ने NCTE से आदेश लेकर अप्रशिक्षित को नियोजित किया।
यू यू ललित ने कहा कि अप्रशिक्षित से TET लेने का कोई आदेश दिखाए। इस मखीजा जी का कोई जवाब नहीं था।
आपको बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में कुछ खास बातें सामने निकल कर नहीं आई जो भी बातें थी वह मखीजा जी के द्वारा पिछली बातों को ही गोल गोल घुमाया जा रहा था टीईटी एसटीईटी के बीच आज का बहस गुमता रहा और इसी के साथ जज साहब ने सुनवाई की समाप्ति की और 29 तारीख को अगली सुनवाई की तिथि घोषित कर दी।
जैसा कि आप सभी जानते है कि बिहार के शिक्षको का समान काम समान वेतन का केश अब आखिरी पड़ाव पर है।
और इसी बीच खबर मिल रही है कि 28 अगस्त की सुनवाई की तारिख को आगे बढाने की मांग की जा रही है केंद्र सरकार द्वारा।
अधिवक्ता गौरव कुमार ने बताया कि भारत सरकार के अटार्नी जेनरल वेणु गोपाल साहब ने कोर्ट में 28, 29 एवं 30 अगस्त को अपना पक्ष रखने में असमर्थता जताया है ।
केंद्र सरकार के अटर्नी जनरल समय का आभव बता कर न्यायालय से अगले माह 04,05 या 06 सितम्बर को पक्ष रखने हेतू समय मांगा है ।
सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है कि बिहार सरकार ने सभी कैवियटरो को बुलाया है ताकि आपस में कम्प्रमाइज कर लिया जाय तो इस तरह की खबर में कही से भी कोई सत्यता नहीं है ।
जैसा कि आप सभी जानते है कि राज्य सरकार की सबसे बड़ी समस्या है शिक्षको का समय से वेतन भुगतान करना।और इसको लेकर राज्य सरकार कई महीनों से लगातार कोशिश कर रही है कि इस समस्या को दूर किया जा सके।
सरकार ने घोषणा किया है कि नवंबर से राज्य के साढ़े चार लाख शिक्षकों के खाते में सीधे वेतन की राशि जाएगी।
जी हाँ मैं यँहा CFMS प्रक्रिया की बात कर रहा हूँ जिसे जून में शुरू करना था लेकिन कुछ कारणों से नहीं हो पाया।
आपको बता दे कि जब तक ये CFMS प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तब तक यानी एक अक्टूबर तक पुरानी व्यवस्था के तहत प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और स्कूलों के प्रधानाचार्य डीडीओ बने रहेंगे और शिक्षको का भुगतान करते रहेंगे।
शिक्षा और वित्त विभाग ने CFMS की तैयारी कर ली है। शिक्षा विभाग ने संबंधित डीडीओ से कहा कि आनेवाले दिनों में जब नई व्यवस्था लागू होगी तो पूरी सावधानी के साथ सही शिक्षकों का पहचान कर डिजिटल सिग्नेचर करना होगा।ताकि किसी गलत व्यक्ति के खाते में राशि न जाए। हालांकि, इसकी दो स्तरों पर जांच भी होगी।
CFMS प्रक्रिया के तहत पहले शिक्षक के वेतन भेजनेके पहले उनसे ओटीपी नंबर मांगने की बातहो रही थी। लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया है।शिक्षा विभाग के सचिव आरएल चोंगथु नेअधिकारियों से कहा कि समय पर सभी शिक्षकों के खाते में वेतन की राशि भेजना साकार की प्राथमिकता है।
बिना देर किए तकनीकी सुविधाओ से राशि भेजनेके लिए नया उपाय किया जा रहा है। पूरी व्यवस्था को आसान बनाने पर जोर है।डीडीओ को सीएफएमएस की जानकारी दी जा चुकी है। उन्हें बताया गया है कि कैसे ऑफिस सिस्टम को ठीक करेंगे।
अधिकारियों को फिर से प्रशिक्षण दिया जाएगा |जिसमें बताया जाएगा कि कैसे शिक्षकों की उपस्थिति
की जानकारी लेनी है।अधिकारियों को बताया गया कि शिक्षा विभाग ने नवंबर से CFMS को पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा है।,
आपको बता दे कि पहले इसे जून में लागू करने एलान किया गया था लेकिन कुछ टेक्निकल समस्या के कारण इसे समय पर चालू नहीं किया जा सका अब इसे नवंबर से चालू करने का आदेश दिया गया है।
बिहार के उन नियोजित शिक्षकों के लिए बुरे दिन की शुरुआत होने जा रही है जो नियोजन इकाई की मिलीभगत से फर्जी तरीके से स्कूलों में योगदान देकर शिक्षक बने हुए हैं।
वैसे शिक्षकों को तत्काल बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं वैसे शिक्षकों से वेतन की राशि भी वसूली जाएगी, जो उन्होंने शिक्षक रहते प्राप्त किया था।
बिहार के प्राथमिक शिक्षा निदेशक अरविंद कुमार वर्मा ने सूबे के सभी डीईओ को आदेश जारी कर निगरानी जांच में फर्जी पाए गए शिक्षकों को हटाने, राशि वसूल करने और केस दर्ज करने का निर्देश दिया है। साथ ही कार्रवाई का ब्योरा भी तलब किया है।
निदेशक ने साफ लिखा है कि पहले भी इस संबंध मे निदेशित किया गया है। लेकिन अभी तक फर्जी पाए गए शिक्षकों को नियोजन इकाई की तरफ से नहीं हटाया गया है।
निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को यह जिम्मेदारी दी है की वे सभी नियोजन इकाई से कार्रवाई की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को सूचित करें। निदेशक ने डीइओ को कार्रवाई से संबंधित एक फॉरमेट मुहैया कराया है जिसे भर कर जमा करना होगा।
आपको बता दे कि बिहार में व्यापक पैमाने पर फर्जी शिक्षकों की बहाली की शिकायत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसकी जांच का आदेश निगरानी विभाग को दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी विभाग ने प्राथमिक और मध्य विधालयों मे बहाल नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच शुरू की थी। जांच में हजारों की संख्या में ऐसे शिक्षक मिलें थे, जिनका प्रमाण पत्र फर्जी था।
निगरानी विभाग ने वैसे शिक्षकों को बर्खास्त करने, वेतन राशि वसूल करने और केस दर्ज करने की सिफारिश की थी। लेकिन नियोजन इकाई ने निगरानी विभाग के आदेश पर भी कोई कार्रवाई नही की और फर्जी शिक्षकों को बहाल कर रखा है।
आज भी बड़ी संख्या में वैसे शिक्षक नियोजन इकाई की मिलीभगत से काम कर करे हैं। वे सिर्फ काम ही नही कर रहे, बल्कि वेतन भी ले रहे हैं।
कई बार विभाग ने पत्र लिखकर इन शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया। लेकिन जिलास्तर, प्रखंड, पंचायत स्तर की नियोजन इकाई के सचिव आदेश को दबाए बैठे रहे। अब एक बार फिर से शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इसके संबंध में आदेश जारी किया है।
यहां तक कि नालंदा समेत राज्य के कई जिलों में हजारों शिक्षकों के फोल्डर ही गायब है। निगरानी विभाग के निर्देश के बाद भी नियोजन इकाई शिक्षकों का फोल्डर जमा नहीं करा सके हैं।
इतना ही नहीं नियोजन इकाई भंग होने के बाद भी बिना रिक्ति के ही फर्जी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। नालंदा और नवादा में इसकी संख्या सर्वाधिक है।
अब देखना है कि शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद फर्जी शिक्षकों को हटाया जाता है या नहीं । फिलहाल इस आदेश से फर्जी शिक्षकों में खलबली मची हुई है। सर्वाधिक फर्जी शिक्षक नियुक्ति मामल में अव्वल नालंदा में भारी हड़कंप देखा जा रहा है।
राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों को मिलने वाले विद्यालय विकास अनुदान मद की राशि अब विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों की संख्या के आधार पर दी जाएगी।
इसके लिए विभाग ने पत्र भी जारी करदिया है इस मद में अब विद्यालयों को12 हजार 500 से लेकर एक लाख तक की राशि विद्यालयों को विकास के लिए दी जाएगी।
विद्यालय प्रधान शिक्षण तहत विद्यालय कार्य से जुड़े खर्च बिना किसी आधिकारिक बाधा के कर सकेंगे जिसमें चॉक डस्टर से लेकर 15 अगस्त, 26 जनवरी आदि कार्यक्रमों के आयोजन से जुड़े खर्च शामिल हैं।
विद्यालय में अन्य विकास कार्यो के लिए भी इस राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है।लेकिन इस राशि को अन्य विकास कार्यों में खर्च
करने के पूर्व विद्यालय प्रधान को विद्यालय में समिति से अनुमति लेनी होगी।
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इसके बारे में जानकारी देते हुए प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान के मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष तक विद्यालयों में प्रारंभिक व मध्य के आधार पर यह राशि दी जाती थी।
इसमें प्राथमिक के विद्यालयों को पांच हजार व मिडिल स्कूल
के लिए कुल बारह हजार की वार्षिक विद्यालय विकास अनुदान की राशि दी।
लेकिन सर्व शिक्षा अभियान व अन्य अभियानों के मर्ज होने से लागू
किए गए समग्र शिक्षा अभियान के तहत अब विद्यालय अनुदान की राशि छात्रों की संख्या के आधार पर देने का निर्णय विभाग ने किया है।
इस बाबत पत्र भी शिक्षा विभाग ने जारी कर दिए हैं. मीडिया प्रभारी
दिलीप कुमार ने बताया कि राज्य सरकार से फंड जल्द ही प्राप्त होने की उम्मीद है। विभाग से फंड मिलते ही विद्यालयों को यह राशि भेजी जाएग।
आइये जानते है विद्यालय को विकास के लिए मिलने वाली नयी राशि
छात्रों की संख्या के अनुसार।
1 से 15 से 12 हजार 500
16 से 100 से 25 हजार
101 से 250 50 हजार
251 से 1000 75 हजार 1000 से अधिक 1 लाख
पिछले 11 वर्षों से विद्यालयों में शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे नियोजित शिक्षक स्नातक ग्रेड में प्रोन्नति के लिए तरस रहे है।
जबकि इस मामले में सरकार द्वारा कई बार दिशा निर्देश दिये जा चुके है इसके बावजूद जिला स्तर पर पदाधिकारी ऐसे किसी भी आदेश
की जानकारी नहीं होने की बात कह कर मामले को टालते दिख रहे है।
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक नियोजन नियमावली(सेवा व शर्त) 2012 के कंडिका के अनुसार नियोजित शिक्षकों को भी स्नातक ग्रेड व मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापपद पर प्रोन्नति देय है।
कंडिका की उपधारा दो के अनुसार स्नातक स्तर की योग्यता प्राप्त बेसिक ग्रेड के उन शिक्षकों को इस प्रोन्नति का लाभ मिलेगा, जिनकी बेसिक ग्रेड में आठ वर्षों की सेवा संतोषजनक रूप पूर्ण हो चुकी है।
इस काल की गणना एक जुलाई 2006 से की जायेगी इस कारण से 2006 से पदस्थापित नियोजित शिक्षकों को ही इसका लाभ मिलेगा
प्रोन्नति हेतु जिला स्तर पर आकलित रिक्तियों में नियमित शिक्षकों व नियोजित शिक्षकों के बीच सीट बंटवारे की स्थिति से अवगत होने हेतु जब जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना किशनगंज दीपक झा से संपर्क साधा गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि नियोजित को प्रोन्नति नहीं दिया जाना है।
इस पर जब उनका ध्यान नियोजन नियमावली 2012 में प्रोन्नति हेतु उल्लेखित नियम पर खिंचा गया तो उन्होंने कहा कि अब तक इस संबंध में विभागीय आदेश प्राप्त नहीं है।
आपको बता दे कि नियमावली के निर्गत तिथि 02/04/2012 से अबतक किशनगंज जिले के प्रारंभिक नियोजित शिक्षकों को प्रोन्नतिदिया जाने का मामला लंबित है।
जबकि उक्त नियमावली के निर्गत तिथि से लेकर अबतक नियमित शिक्षकों को दो बार स्नातक व उत्तर स्नातक पदों पर क्रमशः नवंबर 2012और अप्रैल 2017 में प्रोन्नति दी जा चुकी है।
वहीं नियमित शिक्षक लगातार तीसरी बार प्रोन्नति पाने की राह पर है लेकिन नियोजित शिक्षकों के प्रोन्नति की बात जैसे ही पदाधिकारी से की गयी मामले को सिरे से ही नकार दिया गया ।
बताते चले 2018 के जुलाई माह में एक बार पुन: प्रोन्नति देने के लिए नियमित शिक्षकों से दावा-आपति प्राप्त की जा चुकी है जो जिला प्रोन्नति समिति के विचाराधीन है।
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मे चल रहा समान काम समान वेतन की सुनवाई अब अंतिम दौर मे पहुंच चुका है और ये सब संभव हुआ है शिक्षको के खुलकर आर्थिक सहयोग करने के कारण।
संघ ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय मे सभी संघ अपने अपने स्तर से पूरा कोशिश कर रहे है।
प्रदीप जी ने बताया कि संघ ने एक-एक साक्ष्य के साथ कोर्ट मे अपने वरिष्ठतम वकील देश के जानेमाने कानूनविद,पूर्व केन्द्रिय मंत्री कपिल सिब्बल तथा सर्विस मैटर एवं शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ विजय हंसारिया साहब के माध्यम से अपना बहस करवा चुकी है।
संघ ने बताया की आवश्यकता पड़ने पर पुन: भारत सरकार के अटर्नी जनरल वेनुगोपाल जी के समक्ष एकबार फिर सिब्बल साहब को खड़ा करने की रणनीति पर संगठन काम कर रही है।
आपको बता दे कि प्रदीप कुमार पप्पु जी ने सभी संघ से अनुरोध किया है कि अगर अन्य संघो को किसी भी प्रकार के कागजात की आवश्यकता पड़ती है तो बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ उसे उपलब्ध कराने को तैयार है।
संघ ने कहा कि जिस भी संघ को मदद की जरूरत ओ हमसे संपर्क करके मदद ले सकता है।
संघ ने कहा कि बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ अपने कुशल नेत्रृत्वकर्ता के दम पर समान काम समान वेतन शिक्षको के झोली मे डालकर ही दम लेगा।
संघ ने समान काम समान वेतन की लड़ाई में साथ देने के लिये बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने 38 जिला के तमाम शिक्षक प्रतिनिधि के साथ साथ बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद कहा।
अपने बुढ़ापे के सहारे यानी पेंशन की रकम बाजार के जोखिम के हवाले किए जाने से क्षुब्ध राज्य कर्मचारी और शिक्षक 29 से
31 तक कार्य बहिष्कार करके सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे।
इन तीन दिनों में शिक्षकों ने चॉक और कर्मचारियों ने कलम न उठाकर विरोध दर्ज कराने की तैयारी की है।
जिलों से लेकर तहसील स्तर तक इन तीन दिनों में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में उत्तरप्रदेश के करीब 12 लाख कर्मचारियों के साथ आठ लाख बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षकों के भी शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों ने नई पेंशन नीति पर असंतोष जताते हुए सरकार से न्यूनतम पेंशन गारंटी की मांग की है। केंद्रीय कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रदेश के कर्मचारियों व शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली मंच गठित करते हुए आंदोलन का चरणबद्ध कार्यक्रम भी तैयार कर लिया है।
इसके तहत बीती नौ अगस्त को सभी जिलों में कर्मचारियों व शिक्षकों ने धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा था। इस ज्ञापन पर सुनवाई न होते देख मंच ने आंदोलन के अगले चरण की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।
कर्मचारियों शिक्षकों के मुताबिक तीन दिन तक सरकारी कामकाज व पढ़ाई रोककर सरकार से पेंशन की मांग पर ध्यान देने का आग्रह किया जाएगा।
मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि 29 से 31 अगस्त तक कर्मचारी और शिक्षक कार्यस्थलों पर तो जाएंगे पर काम नहीं करेंगे।
कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2003 तक नके कुल वेतन का 90 फीसद हिस्सा हर महीने मिलता था, जबकि बाकी 10 फीसद की रकम पेंशन के लिए सरकार के पास जाती थी।
नई व्यवस्था में सरकार कर्मचारियों के 10 फीसद अंशदान के साथ अपने हिस्से से भी इतनी रकम मिलाकर इसे शेयर बाजार में लगा रही है। इससे कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की रकम बाजार पर निर्भर हो गई है। मंच पदाधिकारियों ने बताया कि तीन दिन के कार्य बहिष्कार के बाद भी सुनवाई न होने पर आठ अक्टूबर को लखनऊ में प्रांतीय रैली और 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल की जाएगी।
जैसा कि आप सभी जानते है कि 23 अगस्त की सुनवाई अब समाप्त हो चुकी है।
आज सुबह 11:31 मिनट पर नियोजित शिक्षकों के केश की सुनवाई प्रारंभ हुई ।
शिक्षको की तरफ से आज सबसे पहले विजय हंसरिया जो बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के वकील है उन्होंने बहस की शुरुवात की।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि समान काम समान वेतन नहीं लागू कर बिहार सरकार संविधान के अनुच्छेद 21(A) तथा RTE के धारा 7 , 8 एवं 23 का उल्लंघन कर रही है।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति तथा नियोजन हेतु समान योग्यता निर्धारित है। योग्यता समान, स्कूल समान, कक्षा समान, शिक्षण घंटे समान, तो फिर वेतन समान क्यों नहीं?
उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि बिहार में समानता का मौलिक अधिकार लागू करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट समान काम समान वेतन की व्यवस्था बहाल करायें।
विजय जी ने कोर्ट को बताया कि नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्तें तथा अनुशासनिक कार्यवाई की समस्त प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा ही अधिनियमित की जाती है। इस आधार पर नियोजित शिक्षक नहीं बल्कि राज्यकर्मी है।
आपको बता दे कि विजय जी के 30 मिनट बहस करने के बाद प्राप्त माध्यमिक संघ के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने अपनी बहस की शुरूआत की।
बहस के दौरान जज साहब ने कोर्ट रूम में सभी अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे एक ही बात को बार बार न दोहराए।
कोर्ट ने कहा कि 21 अगस्त की सुनवाई में सिब्बल साहब ने बहुत सारी बातों को साफ कर दिया है इसलिए आज कम समय मे सभी अधिवक्ता अपनी बात रखे।
लंच के बाद समान काम समान वेतन के मामले में फिर दुबारा सुनवाई शुरू हुई।
सर्विस मैटर एवं शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया साहब बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से चार लाख नियोजित शिक्षकों का पक्ष रखना शरू किया था।
हंसरिया के द्वारा रखे जा रहे साक्ष्यों को माननीय जज साहब गंभीरता से देख व पढ रहे हैं।
माननीय विजय हंसरिया के द्वारा रखे गये तथ्यों को एवं साक्ष्यों को देखकर माननीय न्यायाधीश यू यू ललित ने कहा अब TET कोई मुद्दा नहीं रह गया है।
आपको बता दे कि विजय हंसरिया जी के बहस खत्म करने के बाद सलमान खुर्शीद बहस करना शुरू किए।
खुर्शीद साहब ने कोर्ट को बताया कि पुराने शिक्षकों से ज्यादा काम करते हैं नियोजित शिक्षक क्योंकि पुराने शिक्षकों को मातृत्व अवकाश ,अध्ययन अवकाश, अर्जिता अवकाश सब कुछ नियोजित शिक्षकों से अधिक मिलता है।
खुर्शीद जी ने कोर्ट से कहा कि बिहार के सभी शिक्षक हर मानक को पुरा करते हैं, सिर्फ शोषण के लिए बांट रखा विभिन्न कोटियों में।
खुर्शीद साहब ने कोर्ट को बताया कि बीमारी के इलाज करने के लिए शिक्षकों के पास पैसे नहीं कइयों की मौत दवा के अभाव में हो गईं।
खुर्शीद साहब के एक-एक लाइन को जस्टिस यूयू ललित साहब अपनी डायरी में नोट कर रहे थे पूरा कोर्ट रूम सांसे बंद कर खुर्शीद साहब की बातें सुन रहा था।
मखीजा जी खड़ा होते ही बोली मैं उनका प्रतिनिधित्व कर रही हूं जो आरटीई एनसीटीई टीईटी सहित शिक्षक होने के सभी मापदंडों को पूरा करते हैं।
मखीजा जी की बातों को सुनने के बाद ललित साहब ने कहा की RTE or Ncte के मानक को पुरा करने वाले शिक्षकों का आरटीई एक्ट लागू होने के बाद नियोजन कैसे ?
जज साहब ने कहा कि टेट पास का नियोजन कैसे बिहार सरकार कर दी, इन सब का तो नियुक्ति सहायक शिक्षक के रूप में होना चाहिए था।
माननीय जज महोदय ने कहा कि मैं बहुत बड़ा फैसला करूंगा जिससे शिक्षक को भविष्य में कोर्ट में उपस्थित ना होना पड़े।
और इसी के साथ कोर्ट की सुनवाई समाप्त हुई और जज साहब ने अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त घोषित कर दिया।
माननीय सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के वकीलों के द्वारा समान काम समान वेतन के विरोध में दिये गये दलीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल साहब ने अपने जोरदार बहस में साक्ष्य सहित गलत एवं तथ्यहीन साबित किया है ।
इस से शिक्षकों की जीत अब तय मानी जा रही है। परन्तु अभी भी इस मामले की लगातार सुनवाई जारी है।
कल दिनांक 23 अगस्त को होने वाली सुनवाई में सर्विस मैटर एवं शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया साहब बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से चार लाख नियोजित शिक्षकों का पक्ष रखेंगे।
विडियो देखे
संग़ठन ने बताया कि आज दिनांक 22 अगस्त को माननीय विजय हंसरिया के साथ अधिवक्ता नीरज शेखर, अनिमेष कुमार सिंह, मुरारी प्रताप, सुमित कुमार जैसे दिग्गज अधिवक्ताओं ने घंटों विचार विमर्श किया गया।
आपको बता दे कि वितीय मामले, शिक्षा आयोग की सिफारिशें, नई शिक्षा नीति, शिक्षा एवं शिक्षक संवर्ग, शिक्षा अधिकार अधिनियम, समानता का मौलिक अधिकार, शिक्षा का मौलिक अधिकार, विभिन्न संवैधानिक
एवं कानूनी प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों पर साक्ष्य सहित मजबूती से शिक्षकों का पक्ष रखकर जीत का मार्ग प्रशस्त बनाने की तैयारी कर ली गयी है।
ब्रीफिंग के बाद अधिवक्ताओं ने बताया कि समान काम समान वेतन लागू करवाने हेतु हमने सभी साक्ष्य तैयार कर लिया है। कल 23 अगस्त को जोरदार तरीके से राज्य के चार लाख शिक्षकों का पक्ष रखकर जीत सुनिश्चित करेंगे।
मौके पर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू, जिला संजीव कुमार कामत, भुवन कुमार भी मौजूद थे।
पचरुखी प्रखंड के राजकीय मिडिल स्कूल गम्हरिया के प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार से बीईओ ने शो कॉज किया।
बीईओ ने एक अखबार में छपी खबर व तस्वीर को देखने के बाद शो कॉज किया किया है।
बीईओ ने रविवार होने की वजह से हेडमास्टर को मोबाइल से ही इस
मामले की रिपोर्ट तलब की है। उनसे पूछा गया कि क्यो एमडीएम के समान की खरीददारी व ढुलाई बच्चो से कराई गई है।
इधर स्थापना के डीपीओ अमरेन्द्र कमार मिश्र ने कहा कि इस मामले में वे भी शो कॉज करेंगे। विभाग का कहना है कि बच्चों से मिड डे मील का समान की खरीदारी कराना व उसे ढुलवाना गलत है।
वीडियो देखें
इधर मिडिल स्कूल गम्हरिया में बच्चों से एमडीएम के समान की खरीदारी कराई जा रही थी तबी दैनिक भास्कर की रिपोर्टर के द्वारा बच्चो का फोटो खिंच लिया गया।
उसके बाद प्रधानाचार्य से पूछा गया कि क्या बच्चो से खरीददारी
कराने का कोई सरकारी नियम ।
बीईओ ने बताया कि प्रधानाध्यापक को शोकॉज कर दिया है जवाब आने पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
राज्य के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक माहौल चुस्त दुरुस्त करने के इरादे से सरकार ने बड़ा फैसला किया है।
20 अगस्त को मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि अब प्रत्येक सप्ताह सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण होगा।
निरीक्षण की तिथि और स्कूल का नाम गुप्त रखा जाएगा, ताकि
स्कूल पहले से चौकन्ने ना हो सकें।
आपपको बता दे कि 16 अगस्त को सरकार ने गुपचुप तरीके से तकरीबन तीन सौ माध्यमिक स्कूल और कस्तूरबा विद्यालयों का निरीक्षण कराया।
स्कूल की जानकारी के बगैर शिक्षा अधिकारियों की टीम ने एक ही समय में अलगअलग स्कूलों में जांच को पहुंची।
सूत्रों की माने तो इस दौरान तमाम स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति महज 24 फीसद ही मिली।
निरीक्षण में अलगअलग स्कूलों में पचास से अधिक शिक्षक बगैर
सूचना नदारद पाए गए।
मुख्यसचिव को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 20 अगस्त
को यह रिपोर्ट सौंपी और मुख्यसचिव को यह जानकारी भी दी गई कि कस्तूरबा विद्यालयों में गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के तकरीबन 47 फीसद पद भी रिक्त हैं।
इस जानकारी को गंभीरता से लेते हुए मुख्यसचिव ने सेवा से नदारद शिक्षकों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए साथ ही जिस स्कूल में छात्रों की उपस्थिति कम पाई गई है उस स्कूल के प्रधानाध्यापक पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इसी क्रम में उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि
स्कूलों के औचक निरीक्षण की साप्ताहिक व्यवस्था प्रभावी बनाई जाए।
इसी कारण से अब विभाग के अधिकारी सप्ताह में किसी भी एक दिन औचक निरीक्षण को निकल सकते है स्कूलों का चयन रैडम तरीके से होगा और इसकी सूचना गुप्त रखी जाएगी।
अधिकारियों को सख्त हिंदायत दी गई कि यह कार्य इसी सप्ताह
से प्रारंभ हो जाए और औचक निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर उसी दिन शाम तक मुख्यसचिव और शिक्षा के प्रधान सचिव
को मुहैया करा दी जाए।
मुख्यसचिव ने कस्तूरबा विद्यालयों को शीघ्र ही सीसीटीवी
और बायोमीट्रिक अटेंडेंस से जोड़ने के निर्देश दिए हैं।
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बैठक में कशिक्षा सचिव बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक,
माध्यमिक शिक्षा निदेशक के साथ ही जनशिक्षा के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
तो शिक्षको से आग्रह है कि आप बिलकुल समय पर स्कूल जाए और समय पर ही स्कूल से घर आए ।
फुलकाहा थाना बाजार स्थित मध्य विद्यालय नबावगंज में सोमवार को मध्याह्न भोजन का वीडियो बना रही सहायक शिक्षिका दीप्ति कुमारी पर रसोईया रीता कुमारी ने गर्म दाल फेंककर जख्मी कर दिया।
पीड़ित शिक्षिका का इलाज फारबिसगंज रेफरल अस्पताल में चल रहा है। घटना के संदर्भ में पीड़ित शिक्षिका दीप्ति कुमारी का कहना है कि रसोइया द्वारा बनाए जा रहे दाल की गुणवत्ता घटिया होने के चलते रसोईया को सचेत किया गया।
उसके नहीं मानने पर वीडीयो बनाकर विभाग में शिकायत करने की बात कही तो आक्रोशित होकर रसोईया ने गर्म दाल उसके ऊपर फेंक दिया।
घटना के बाद विद्यालय परिसर में अफरातफरी सी मच गई। इस दौरान जिसने भी रसोइया को समझाने बुझाने की कोशिश की सभी के साथ उसने गाली गलौज किया। जिस वक्त घटना घटी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुनीता माला अपने कार्यालय में काम कर रही थी।
बताया जा रहा है कि विडियो बनाए जाने को लेकर रसोईया नाराज हो गयी और उसे ये कदम उठा लिया।
आज 21 अगस्त को कोर्ट की सुवाई 11:15 पर शरू हुई और समान काम समान वेतन की सुनवाई 11:46 मिनट पर शरू की गई।
शिक्षको की तरफ से केश के बहस की शुरुवात सी ए सुंदरम साहब ने की।,
आपको बता दे कि आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से एक भी अधिवक्ता कोर्ट रूम में मौजूद नहीं था। कपिल सिब्बल ने उनकी दलीलो एक सिरे से पहले ही ख़ारिज करा चुके है।
सुंदरम जी ने कोर्ट को बताया कि 25.08.2010 के पुर्व नियोजित किसी भी शिक्षक को TET परीक्षा उर्त्तीण होने की आवश्यकता नहीं है, उन्होंने पटना हाईकोर्ट का जजमेंट जिसमें बिहार सरकार ने एनसीटीई द्वारा उपलब्ध कराएं गए पत्र दिनांक 26.10.2015 को हलफनामे के रूप में कोर्ट को समर्पित किया है।
सुंदरम साहब की बातों से यू यू ललित जज साहब संतुष्ट नजर आ रहे हैं ।
सुंदरम जी ने कोर्ट को कहा कि जब बिहार सरकार पाँच लाख संविदा कर्मचारियों को समान काम समान वेतन दे सकती है तो नियोजित शिक्षकों को क्यों नहीं दे सकती।
कोर्ट में जोरदार बहस करते हुए सुंदरम जी ने कहा कि समान काम समान वेतन के हकदार बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक हैं ।
आपको बता दे कि 16 अगस्त की सुनवाई में सिब्बल जी के द्वारा दक्षता व पात्रता विषयों को सही तरह से व्याख्या न करने की वजह से जो आशंका उत्पन्न हुई थी उसको आज सी ए सुंदरम जी ने प्रामाणिक तरीके से बहस करते हुए जज साहब को समझाने में सफल रहे।
उन्होंने बताया की 2003 से 2016 तक बहाल शिक्षकों में कोई असमानता नही है।सभी पर एक साथ समान कार्य का समान वेतन लागू होगा।
उन्होंने कोर्ट को कहा कि यह मायने नहीं रखता है कि शिक्षको कि बहाली कब और किसके द्वारा की गई है। जब कार्य प्रकृति समान है और NCTE के नियम को जब सब शिक्षक पूरा कर रहें हैं तो समान काम समान वेतन इन शिक्षको का संवैधानिक अधिकार बनता है और इसे सरकार हर हाल में देना होगा।
सी ए सुन्दरम् ने माननीय न्यायाधीश से अपील किया की वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल साहब ने सरकारी वकीलों के सभी दलीलों को साक्ष्य को झुठा एवं गलत साबित किया है। इस आधार पर आज ही सरकार के SLP को खारिज किया जाए।
आपको बता दे कि आज अगर सरकार की SLP खारिज हो जाती तो निश्चय ही जीत नियोजित शिक्षको के हक में होती लेकिन कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त कर दी और इसी के साथ बहस की समाप्ति हुई।
राज्य में कार्यरत सभी टोला सेवक एवं तालीमी मरकज शिक्षा स्वयंसेवी का नाम समरूप करते हुए अब टोला सेवक को शिक्षा सेवक तथा तालीमी मरकज में काम करने वाले कर्मियों को शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) पदनाम निर्धारित किया जाता है।
कार्यरत शिक्षा सेवक एवं शिक्षा सेवक (तालीमी मरकजकी कार्यावधि प्रातः 8.00 बजे से अपराह्न 400 बजे तक की होगी।
विद्यालयों के प्रात: कालीन होने से तद्नुरूप समय में परिवर्तन होगा।
सेवाकाल में मृत होने पर शिक्षा स्वयंसेवक, शिक्षा स्वयंसेवक (तालीमी मरकज) के आश्रित को
एकमुश्त 04 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान दिया जाता है।
आपको बता दे कि वर्तमान में इसकी स्वीकृति राज्य
स्तर से की जाती है, जिसके कारण भुगतान में विलम्ब होता है।
इसलिए इस प्रक्रिया में सुधार करते हुए राशि स्वीकृति का अधिकार जिला को दिया जाता है ।
कर्मी की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने के 15 दिनों के अन्दर उन्हें खाते के माध्यम से राशि प्राप्त कराने का
दायित्व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) का होगा।
वे के0आर0पी0 की मदद से अपेक्षित सभी कागज प्राप्त कर जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुमोदन से एक पक्ष के अन्तर्गत अनुग्रह राशि आश्रित के खाते में अनिवार्यतः उपलब्ध करा देंगे।
यह भुगतान जिले में उपलब्ध महादलितदलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के खाते में उपलब्ध राशि से किया जायेगा और इसकी प्रतिपूर्ति निदेशालय के द्वारा जिले को की जायेगी।
अनुग्रह अनुदान के भुगतान में नियमों का पालनपूर्ण पारदर्शिता तथा एक पक्ष में भुगतान सुनिश्चित करने का दायित्व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) का होगा।
संग़ठन ने 21 अगस्त को होने वाली महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बहस का ब्रीफिंग आदरणीय सी आर्यमा सुंदरम साहब के साथ संपन्न किया।
आपको बता दे कि एक घन्टें तक चली ब्रीफिंग में सभी पहलुओं पर विचार करते हुए पटना हाईकोर्ट के न्यायिक निर्णय को बचाने हेतु अचूक रणनीति को मूर्त रूप दिया गया।
ब्रीफिंग के दौरान सी आर्यमा सुंदरम साहब ने सभी दस्तावेज का अध्ययन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वय AOR अजय कुमार सिंह, केशव रंजन और सत्येंद्र कुमार को कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए कुछ नोट्स बनाने का निर्देश दिया।
अधिवक्ता ने बताया कि कल के ऐतिहासिक बहस के लिए पॉइंट टु पॉइंट बात करने की जरूरत है ताकि बिहार के चार लाख शिक्षक भाई/बहन के जीत का मार्ग प्रसस्त हो सके।
इस वक्त संगठन AOR अजय कुमार सिंह के कार्यालय पहुंचकर जरूरी दस्तावेज तैयार करने में लगे हुए है।
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह,प्रदेश महासचिव रामचन्द्र यादव,प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज कुमार सिंह,प्रदेश सचिव बिपिन बिहारी भारती,प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रशांत कुमार,बांका के जिला संयोजक पंकज कुमार,संतोष कुमार आदि मौजूद है।
संगठन ने बताया कि जीत हासिल करने के लिए केश की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
आज 16 अगस्त की सुनवाई के दौरान शिक्षको के तीनों दिग्गज अधिवक्ता सी ए सुंदरम,कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम कोर्ट रूम में उपस्थित थे ।
कपिल सिब्बल जी ने जज साहब के सामने अपनी बातों को एक-एक करके रखना शुरू किया।
कपिल जी ने कहा कि जिला संवर्ग के शिक्षको को जबरन डाइंग कैडर कहा जा रहा है,यह शिक्षको का शोषण करने के लिए उतपन्न किया गया बहाना है।,
नियोजित शिक्षकों और जिला संवर्ग के शिक्षको की योग्यता एवं कार्यावधि समान है इसलिये दोनों समान वेतन के हकदार हैं।
सिब्बल जी मे कोर्ट को बताया कि जिला संवर्ग के शिक्षक डाइंग कैडर नहीं हैं। हाई स्कूल एव अन्य विद्यालयों मे बिहार सरकार नियमित बहाली जारी रखी है।
डाईंग कैडर तो नियोजित शिक्षक हैं क्योंकि प्रत्येक वर्ष सैकड़ों शिक्षक वेतन भुगतान नहीं मिलने के कारण मृत्यु प्राप्त किये हैं। समाचार पत्रों में छपी खबरें देखी जा सकती है।
सिब्बल जी ने कोर्ट को बताया कि सरकार के पास बजट नहीं है तो साढ़े 5 लाख कंट्रैक्ट कर्मियों को नियमित करने के लिए पैसा कहाँ से आया। बिहार सरकार कर रही नियोजित शिक्षकों को जानबूझकर परेशान।
कपिल सिब्बल साहब ने कोर्ट को बताया, केंद्र से जो शिक्षक के लिए वेतन आता है वह बिहार सरकार दुसरे मद में खर्च करती है।
आपको बता दे कि आज का पूरा समय सरकार के द्वारा पेश किए गए तथ्यों को गलत बताने और सही क्या है ये कोर्ट को बताने में ही खत्म हो गया ।
हमेशा की तरह फिर से एक बार सुप्रिमकोर्ट ने 21 तारीख को अगली सुनवाई घोषित कर दिया।
जैसा कि आप जानते है कि कपिल सिब्बल साहब ने 14 अगस्त की सुनवाई में बिहार सरकार के वकीलों के द्वारा समान काम समान वेतन की राह में सबसे बड़ी बाधा वित्तीय भार संबंधी दलीलों का भंडा फोड़ कर दिया है।
संगठन ने बताया कि 16 अगस्त को होने वाली सुनवाई को लेकर वित्तीय अड़चनों के साथ- साथ RTE - NCTE, पंचायती राज संस्थान से नियोजन सहित सरकारी वकीलों के द्वारा पेश किये गये विभिन्न अड़चनों एवं दलीलों को
ख़ारिज कराने हेतु कल दिनांक 15 अगस्त की संध्या में माननीय सिब्बल जी के साथ अधिवक्ता नीरज शेखर, अनिमेष कुमार सिंह, मुरारी प्रताप, सुमित कुमार जैसे दिग्गज अधिवक्ताओं ने घंटों विचार विमर्श किया।
मौके पर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू, कोषाध्यक्ष अनवार करीम, जिला अध्यक्ष जयप्रकाश सिंह भी मौजूद थे।
ब्रीफिंग के बाद कपिल सिब्बल जी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के केश जबतक चलेगा, तबतक मैं अन्य मामलों का केश नहीं लड़ूंगा।
सिब्बल जी ने बताया कि सरकार के वकीलों ने झूठे आँकड़ों एवं झूठे दलीलों से समान काम समान वेतन को उलझाने का प्रयास किया है।
परन्तु हम सरकार के हरेक दलील को ध्वस्त करते हुए समान काम समान वेतन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इस हेतु सभी साक्ष्य तैयार है। शिक्षकों की जीत सुनिश्चित होगी।
15 अगस्त, 2018 को भारत अपना 72 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। यूं तो देश में प्रतिदिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है लेकिन स्वतंत्रता दिवस की बात ही कुछ निराली है।
यह बात तो सभी जानते हैं कि इस दिन भारत ने खुद को अंग्रेजी सरकार की गुलामी से आजाद कर अपना स्वराज हासिल किया था। लेकिन इस दिन से जुड़े कई ऐसे तथ्य भी हैं जिनसे अभी तक बहुत से लोग अनजान हैं।
हमें 15 अगस्त को ही आजाद क्यों किया गया?
आजाद भारत के तिरंगे का इतिहास आदि कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं:
1. भारत को किसी भी दिन आजाद किया जा सकता था लेकिन भारत में अंग्रेजी सरकार के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश को 15 अगस्त को ही आजाद घोषित करने का निश्चय इसलिए किया क्योंकि इसी दिन ठीक दो वर्ष पहले यानि 15 अगस्त, 1945 को जापान ने खुद को मित्र देशों के सामने समर्पित किया था।
2. वर्ष 1947 की शुरुआत में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने यह निर्धारित किया था कि भारत को जून 1948 से पहले स्वतंत्र कर दिया जाएगा। लेकिन महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के चलते अंग्रेजी हुकूमत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिसके चलते उन्होंने देश को जल्द आजाद कर दिया।
3. भारत विभाजन के बाद नव निर्वाचित और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुइस माउंटबेटन को दोनों देशों भारत व पाकिस्तान में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेना था। ऐसे में किसी भी तरह की असुविधा से बचने के लिए 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया और भारत को 15 अगस्त के दिन आजाद किया गया।
4. भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में महात्मा गांधी का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी को किसने प्रभावित किया था। लेखक डेविड थोरो ने अपनी एक किताब में यह बात लिखी थी लोगों को टैक्स नहीं देने चाहिए और सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं करना चाहिए। इसके बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और नमक पर लगने वाले कर का विरोध करने जैसे आंदोलन किए।
5. भारत की आजादी के बाद तक जम्मू-कश्मीर रियासत के सरदार इस बात का निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि उन्हें भारत के साथ मिलना चाहिए या पाकिस्तान के साथ। पाकिस्तान का मानना था कि प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या मुसलमान है इसीलिए उन्हें पाकिस्तान के साथ मिलना चाहिए लेकिन अंतत: अक्टूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर रियासत के सरदार ने अपनी रियासत को भारत का हिस्सा बनाने पर अपनी रजामंदी दे दी।
उत्तराखंड राज्य में सहायक अध्यापक के पद पर स्थाई नौकरी की मांग कर रहे शिक्षा मित्रों को सरकार की ओर से एक बड़ा झटका दिया गया है।
सरकार ने साफ कह दिया है कि बिना टीईटी पास किए किसी भी शिक्षामित्र को स्थाई नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
शिक्षा निदेशक आर के कुंवर का भी कहना है कि वर्तमान में बेसिक शिक्षक के लिए अन्य शैक्षिक योग्यता के साथ टीईटी होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि पहले जो भी शिक्षामित्र स्थाई किए गए हैं उन्हें कोर्ट के आदेश पर सशर्त ऐसा किया गया है।
आपको बता दे कि राज्य के विभिन्न स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षामित्र काफी समय से सहायक शिक्षकों के पदों पर स्थाई किए जाने की मांग कर रहे हैं।
अब सरकार ने साफ कर दिया है कि बिना टीईटी पास किए शिक्षामित्रों को स्थाई नहीं किया जाएगा। सरकार के इस रवैये पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने प्रदेश सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।
बेरोजगार संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 20 दिनों के अंदर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
गौर करने वाली बात है कि स्थाई करने की मांग को लेकर कई दिनों से शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन कर रह शिक्षकों का कहना है कि राज्य में 900 शिक्षा मित्र ऐसे भी हैं जो 15 हजार रुपये मासिक मानदेय पर काम कर रहे हैं।
इन्होंने इग्नू के जरिए डीएलएड कर लिया है लेकिन टीईटी नहीं कर पाए हैं। संघ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि डीएलएड कर चुके शिक्षा मित्रों के पहले बैच को स्थाई किया जा चुका है लेकिन बाकी के 900 शिक्षामित्रों को स्थाई करने में आनाकानी की जा रही है।
वेगुसराय जिले के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति ठीक-ठाक नहीं है।इसका खुलासा जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी सौपे गये जिले के कुल 13 विद्यालयों के निरीक्षण
रिपोर्ट से हुई है।
आपक को बता दे कि शिक्षा विभाग के निदेशक के निर्देश पर उक्त सभी 13 विद्यालयों का निरीक्षण किया गया था।13 प्राथमिक-माध्यमिक विद्यालयों के निरीक्षण में सभी विद्यालयों में कुल नामांकित छात्र छात्राओं की संख्या 8709 है, वहीं उपस्थित छात्र-छात्राओं की संख्या मात्र 5052 ही मिला है।
विद्यालय से 40 प्रतिशत बच्चों की अनुपस्थिति प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक चिंता का विषय है।
जैसा कि आप जानते है कि 45 बच्चों पर एक शिक्षक को पदस्थापित किया गया है लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर निर्देशित छात्र शिक्षक अनुपात में पूर्व से सुधार तो की गयी
है परंतु अब भी सही अनुपात में शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं।
निरीक्षित 13 विद्यालयों के कुल नामांकित छात्र -छात्राओं की संख्या 8709 हैं, वहीं उन निरीक्षित 13 विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षकों की संख्या 193 हैं।
बिहार सरकार बच्चों को ड्रेस के लिए खर्च भी कर रही है. अभिभावकों में जागरूकता का अभाव होने से ड्रेस कोड
के अनुपालन में कमी देखी जा रही है।
13 विद्यालयों में 10 विद्यालयों में बच्चों के ड्रेस पहनकर पहुंचे मिले वहीं 03 विद्यालयों में बच्चे समुचित रूप से ड्रेस में नहीं पाये गये।
हालांकि ड्रेस के अनुपालन में पूर्व से सुधार नजर आ रही है, वहीं इन विद्यालयों में प्रार्थना सत्र चलने व सही समय पर घंटी बजने में भी विभाग ने कमी पायी।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक के आदेशा अनुसार 13 विद्यालयो की जाँच की गई और उसकी रिपोर्ट शिक्षा निदेशक को भेजी गई है।